बौद्धिक संपदा के मामले में हैदराबाद की दवा कंपनी सुवेन लाइफ साइंसेज बड़ी समृद्ध कंपनी है। वह बायोफार्मा कंपनी है। सीधे बाजार में नहीं, बल्कि नई-नई दवाएं खोजकर उनके व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए दुनिया भर की कंपनियों को बेचती है। वह खोजे गए नए-नए रासायनिक यौगिकों के पेटेंट लेती रहती है। पिछले ही महीने उसे ऑस्ट्रेलिया व कनाडा से चार उत्पादों के पेटेंट मिले हैं। ये उत्पाद अल्ज़ाइमर, अटेंशन डेफिसिएंट हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर, पार्किन्सन, सिज़ोफ्रेनिया व हटिंग्टन जैसी स्नायु-तंत्र की बीमारियों से संबंधित हैं। इन्हें मिलाकर कंपनी के पास ऑस्ट्रेलिया से अनुमोदित 13 और कनाडा से अनुमोदित आठ पेटेंट हो चुके है। यही नहीं, उसके पास यूरोप से लेकर न्यूजीलैंड व श्रीलंका तक से अपने उत्पादों के पेटेंट ले रखे हैं। उसकी उत्पादन इकाई को अमेरिका की दवा नियामक संस्था यूएसएफडीए का अनुमोदन मिला हुआ है।
कंपनी का फोकस अल्ज़ाइमर व सिज़ोफ्रेनिया जैसी बीमारियों के इलाज पर है और उसने अभी तक जो उत्पाद निकाले हैं, उन्हें साल 2028 तक का पेटेंट मिला हुआ है। लेकिन इतनी संभावना के बावजूद उसका शेयर पिछले कुछ सालों में पिटता गया है। जनवरी 2008 में इसका एक रुपए अंकित मूल्य का शेयर ऊपर में 59.90 रुपए तक गया था। जनवरी 2009 में यह सीमा 19.40 रुपए पर आ गई। जनवरी 2010 में उठकर 33.85 रुपए तक गया। जनवरी 2011 में 25.40 रुपए तक रहा। लेकिन अभी इस साल 2 जनवरी 2012 को इसने 11.50 रुपए पर 52 हफ्ते का तल्ला पकड़ लिया।
हालांकि 8 दिसंबर को चार नए पेटेंट मिलने की घोषणा के बाद इसका शेयर उछलकर 15.75 रुपए तक चला गया था। लेकिन फिर पटरा हो गया। कल 16 जनवरी, 2012 को यह बीएसई (कोड – 530239) में 14.33 रुपए और एनएसई (कोड – SUVEN) में 14.35 रुपए पर बंद हुआ है। शेयर की बुक वैल्यू 10.86 रुपए है। सितंबर 2011 तक के बारह महीनों में उसका ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 90 पैसे है और इस तरह उसका शेयर 15.92 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। यह अपनी समकक्ष दूसरी कंपनियों से अपेक्षाकृत सस्ता है।
यह स्मॉल कैप कंपनी है। उसकी 11.67 करोड़ रुपए की इक्विटी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 63.44 फीसदी है। बाकी 36.56 फीसदी हिस्सा पब्लिक के पास है। इसमें से 0.37 फीसदी एफआईआई और 0.02 फीसदी डीआईआई के पास हैं। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 40,842 है। इसमें एक लाख रुपए से कम निवेश वाले छोटे शेयरधारकों की संख्या 39,657 (97.1 फीसदी) है जिनके पास कंपनी के 24.57 फीसदी शेयर हैं। असल में कंपनी के प्रवर्तकों ने पूरा जोर आम शेयरधारकों पर ही लगा रखा है। इसलिए बराबर हर साल लाभांश देते रहते हैं। कंपनी का लाभांश यील्ड 1.75 फीसदी है। उसने पिछले पांच सालों में हर साल 25 फीसदी (एक रुपए पर 25 पैसे) का लाभांश दिया है। मात्रा के लिहाज से यह भले ही ज्यादा न हो, लेकिन इससे कंपनी की अच्छी नीयत व लाभप्रदता का पता चलता है।
असल में सुवेन लाइफ साइंसेज का पूरा संघर्ष रिसर्च व खोज में लगी एक छोटी दवा कंपनी की दास्तान है। वह अपनी आय का लगभग 20 फीसदी हिस्सा आर एंड डी पर खर्च कर देती है। जैसे, बीते वित्त वर्ष 2010-11 में 151.69 करोड़ रुपए की आय में से 31.14 करोड़ रुपए (20.53 फीसदी) आर एंड डी पर खर्च किया था। चालू वित्त वर्ष 2011-12 की जून तिमाही में यह खर्च आय का 17 फीसदी और सितंबर तिमाही में 18 फीसदी रहा है। जिस देश में जीडीपी का मात्र 0.9 फीसदी वैज्ञानिक अनुसंधानों पर खर्च होता है, वहां कंपनी का यह प्रयास तारीफ के काबिल है।
लेकिन तारीफ से धंधा नहीं चलता। सुवेन को हमेशा नए-नए सहयोगियों की जरूरत पड़ती है जो उसके प्रोजेक्ट में धन लगा सकें। और, अक्सर ऐसा हो नहीं पाता। फिर भी प्रवर्तकों ने ठान रखी है कि कंपनी को सातवें आसमान तक पहुंचाकर ही मानेंगे। संभावना बहुत है। कंपनी के संस्थापक व सीईओ वेंकट जस्ती के मुताबिक कंपनी को जिन दवा यौगिकों का पेटेंट अभी मिला है, उनका विश्व बाजार 30 अरब डॉलर का है।
नोट करने की बात यह है कि 1989 में यह कंपनी शुरू करने के पहले जस्ती अमेरिका के न्यूजर्सी प्रांत में छह फार्मेसियां चलाते थे। उनका कहना है, “हम सेल्फ-फंडेड दवा खोजी कंपनी है। हम जो कमाते हैं, खर्च कर देते है। हमारे निवेशक हमारे लाभ की स्थिति से भले ही खुश न हों, लेकिन हमने भारी-भरकम ऋण नहीं लिये हैं।” कंपनी का ऋण-इक्विटी अनुपात मात्र 0.47 है।
निश्चित रूप से सुवेन की लाइफ में संघर्ष बहुत हैं। उसे फाइज़र और स्मिथक्लाइन जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की ताकत से लड़ना है। लेकिन कंपनी अगर अपने लक्ष्य के मुताबिक अल्ज़ाइमर व सिज़ोफ्रेनिया जैसी बीमारी की दवाओं के विश्व बाजार का 5-10 फीसदी हिस्सा हासिल कर लेती है तो वह गदर काट देगी। वह बड़े मजे में 1.5 से 3 अरब डॉलर (750 करोड़ से 1500 करोड़ रुपए) का नया धंधा हासिल कर सकती है। यानी, अभी का कम से कम पांच गुना। जिन्हें वेंकट जस्ती की टीम की योग्यता व संघर्ष क्षमता पर यकीन हो, वे इस कंपनी में निवेश कर सकते हैं।