गिरे हुए बाजार में भी महंगे शेयर हो सकते हैं और चढ़े बाजार में भी सस्ते। हम बाजार का रुझान निफ्टी और सेंसेक्स से नापते हैं। लेकिन सेंसेक्स के 30 निफ्टी के 50 में शामिल हैं तो दोनों सूचकांकों में कुल मिलाकर 50 शेयर ही हुए। जबकि बाजार में लिस्टेड कुल लिस्टेड कंपनियों की संख्या इस समय 5105 है जिनकी कुल 8536 स्क्रिप्स (प्रपत्र या प्रतिभूतियां) लिस्टेड हैं। टाटा मोटर्स जैसी कई कंपनियों के शेयर, डीवीआर (डिफरेंशियल वोटिंग राइट्स) शेयर व डिबेंचर तक लिस्टेड हैं। यह अलग बात है कि हर दिन औसतन 3000 से भी कम, यानी 35 फीसदी स्क्रिप्स में ही ट्रेडिंग होती है। खैर, ये अलग मसला है। कहने का मतलब यह कि सूचकांक पूरे बाजार का प्रतिनिधित्व नहीं करते।
गिरते सूचकांकों के बीच महंगे शेयरों में शामिल एक नाम है – टीटीके प्रेस्टिज। ए ग्रुप का शेयर है। बीएसई-500 सूचकांक में शामिल है। लेकिन न तो सेंसेक्स में शामिल है और न ही निफ्टी में। हां, एफ एंड ओ सेगमेंट में जरूर शामिल है। इसलिए दिन में कितना भी ऊंचा या नीचा हो सकता है। सेंसेक्स का पी/ई अनुपात अभी 16.83 चल रहा है जबकि टीटीके प्रेस्टिज फिलहाल 29.11 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है।
इसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर कल बीएसई (कोड – 517506) में 2692.20 रुपए और एनएसई (कोड – TTKPRESTIG) में 2692.30 रुपए पर बंद हुआ है। बीते शुक्रवार, 9 दिसंबर से यह लगातार गिर रहा है। चार सत्रों में 2.19 फीसदी डूब चुका है। आगे और गिरने की गुंजाइश है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल का आकलन है कि यह शेयर गिरकर 2392 रुपए तक जा सकता है। यानी, अभी 11 फीसदी और गिर सकता है। वैसे, अगर किसी ने इसे करीब 11 महीने पहले 19 जनवरी 2011 को खरीदा होता है तो अब तक अपनी पूंजी लगभग दोगुनी कर चुका होता क्योंकि तब यह नीचे में 1376.05 रुपए तक चला गया था। इसके बाद 26 जुलाई 2011 को यह 3200 रुपए का शिखर पकड़ चुका है।
असल में क्रिसिल ने टीटीके प्रेस्टिज को फंडामेंटल आधार पर 5 में 5 का ग्रेड दिया है। लेकिन मूल्यांकन के लिहाज से उसने इसे 5 में से 2 का ही ग्रेड दिया है। उसका आकलन है कि साल भर का इसका उचित मूल्य 2392 रुपए है। हालांकि टीटीके प्रेस्टिज में कई सारी अच्छाइयां व संभावनाएं हैं। एक तो उसका ब्रांड बड़ा विश्वसनीय है। दूसरे बढ़ते शहरीकरण व एकल परिवारों के साथ किचन के ब्रांडेड साजसामान की बिक्री बढ़ती ही जानी है। कंपनी का प्रबंधन भी मजा हुआ है। पिछले दस सालों में कंपनी की आय 20 फीसदी और शुद्ध लाभ 50 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ा है। यह पूरी तरह ऋण-मुकत कंपनी है। लेकिन कंपनी ऐसे उद्योग में नहीं है जहां होड़ न हो और कोई तगड़ा एंट्री बैरियर हो। ग्रामीण इलाकों में तो अब भी असंगठित क्षेत्र के लोकल ब्रांड ही ज्यादा चलते हैं।
क्रिसिल का अनुमान है कि कंपनी की आय दो साल में 35 फीसदी सालाना की चक्रवृद्धि दर से बढ़कर वित्त वर्ष 2012-13 तक 1390 करोड़ रुपए हो जाएगी। लेकिन परिचालन लाभ मार्जिन 16 फीसदी के आसपास स्थिर रहेगा। ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) तब तक 32 फीसदी की सालाना चकवृद्धि के साथ 129 रुपए हो जाना चाहिए। कंपनी का इक्विटी पर रिटर्न भी 40 फीसदी से ज्यादा के मजबूत स्तर पर रहेगा।
बीते वित्त वर्ष 2010 में कंपनी ने 763.57 करोड़ रुपए की आय पर 83.75 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। इस साल सितंबर 2011 की तिमाही में कंपनी की आय 51.85 फीसदी बढ़कर 303.48 करोड़ रुपए हो गई है, जबकि शुद्ध लाभ 54.63 फीसदी बढ़कर 33.71 करोड़ रुपए हो गया है। कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस 92.48 रुपए है। लेकिन क्रिसिल का मानना है कि बाजार ने टीटीके प्रेस्टिज को अभी ज्यादा ही सिर चढ़ा है। उसने माना है कि वित्त वर्ष 2012-13 में 129 रुपए के ईपीएस पर उसका पी/ई अनुपात 18.54 रहेगा। इसी आधार पर उसने उसका भावी भाव 2392 रुपए निकाला है। कोई कह सकता है कि जो शेयर अभी पांच महीने पहले ही 44.75 के पी/ई पर ट्रेड हुआ हो, वह इतने कम पी/ई पर कैसे आ सकता है? लेकिन आप जानते ही हैं कि अपने यहां तमाम शेयरों का गुब्बारा ऑपरेटर लोग अपने हित में फुलाते रहते हैं। खासकर उनकी मुठ्ठी में वे शेयर होते हैं जो एफ एंड ओ (फ्यूचर्स व ऑप्शंस) सेगमेंट में शामिल हैं।
यह तमिलनाडु के टी टी कृष्णामचारी समूह की 1955 में बनी कंपनी है। इसकी तीन उत्पादन इकाइयां हैं। दो तमिलनाडु के होसुर व कोयम्बटूर में और एक उत्तराखंड के रुढ़की में। उसकी योजना गुजरात में एकदम नई परियोजना लगाने की है जहां वह नॉन-स्टिक कुकवेयर बनाएगी।
प्रवर्तकों को अपनी कंपनी से बड़ा लगाव है। तभी उन्होंने इसकी 11.32 करोड़ रुपए की इक्विटी का 74.91 फीसदी हिस्सा अपने पास रखा हुआ है। एफआईआई के पास इसके 8.42 फीसदी और डीआईआई के पास 4.29 फीसदी शेयर हैं। कंपनी के शेयरधारकों की कुल संख्या 12,213 है, जिसमें से 11,272 (92.29 फीसदी) छोटे निवेशकों के पास इसके 7.97 फीसदी शेयर हैं। एचडीएफसी ट्रस्टी कंपनी के पास इसके 1.84 फीसदी शेयर हैं।
मित्रों, यह कॉलम ट्रेन में सफर के दौरान लिख रहा हूं जहां नेट का कनेक्शन जुड़ रहा है, टूट रहा है। इसलिए ई एंड ओई यानी भूलचूक लेनी-देनी।
Hope you had a good journey and reached safely.