सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया जिसमें पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी के चेयरमैन के पद पर यू के सिन्हा की नियुक्ति को चुनौती दी गई है। यह याचिका भारतीय वायुसेना के पूर्व प्रमुख एस कृष्णास्वामी, रिटायर्ड आईपीएस अफसर जुलियो रिबेरो और सीबीआई के पूर्व निदेशक बी आर लाल की तरफ से दायर की गई है।
याचिका पर गौर करते हुए मुख्य न्यायाधीश एस एच कापड़िया की पीठ ने कहा कि यह दूसरी बार है जब वही मुद्दा अदालत के सामने रखा गया है जबकि पिछली बार याचिकाकर्ताओं से कहा गया था कि वे शुद्ध रूप से संवैधानिक मसले ही उठाएं। पीठ का कहना था कि याचिका पर गौर करने के बाद हमने पाया कि इसका आधार वे नुक्ते नहीं हैं जिन पर याचिकाकर्ताओं के वरिष्ठ वकील जिरह करना चाहते हैं। पीठ ने कड़े शब्दों में कहा कि याचिका में कानूनी व संवैधानिक मसलों की आड़ में एक व्यक्ति पर निशाना साधा गया है। यह सब प्रचार पाने की नीयत से किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, “यह याचिका उस याचिका जैसी ही है जिसने पहले खारिज किया जा चुका है। हम अपेक्षा करते हैं कि जहां संवैधानिक धारणाएं शामिल हों, खासकर जिनका ताल्लुक नियामक संस्थाओं की स्वतंत्रता से हो, वैसे मसलों में वाजिब तरीके से याचना की जाएगी। याचिकाकर्ता चाहें तो जिरह के नुक्तों को साफ तौर पर उठाते हुए नई याचिका दायर कर सकते हैं।”
याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ एडवोकेट गोपाल सुब्रमणियम ने पीठ के सुझाव को स्वीकार कर लिया। याचिका में कहा गया था कि पहले तीन सदस्यीय समिति सेबी प्रमुख का चुनाव करती रही है। लेकिन यू के सिन्हा के मामले में पांच सदस्यों की समिति बना दी गई जिसमें दो सदस्य वित्त मंत्री ने अपनी पसंद के रखवाए ताकि सिन्हा की नियुक्ति में कोई अड़चन न आए।
पिछली सुनवाई में वित्त मंत्रालय ने सिन्हा की नियुक्ति का बचाव किया था। मंत्रालय की तरफ से दायर हलफनामे में कहा गया था कि चयन समिति ने सर्वसम्मति से यू के सिन्हा को सेबी का चेयरमैन चुना है। उसमें आरोप लगाया गया था कि याचिकाकर्ता सेबी के कुछ पूर्व अधिकारियों (सी बी भावे, एम एस साहू और के एम अब्राहम) की तरफदारी करते हुए नाजायज आरोप लगा रहे हैं।