दूसरी तिमाही के कॉरपोरेट नतीजों का अंतिम दिन। करीब 515 कंपनियों के नतीजे सोमवार को आने हैं। इनमें एबीजी शिपयार्ड, अडानी एंटरप्राइसेज, अमर रेमेडीज, अरेवा टी एंड डी, अवेंतिस फार्मा, बलरामपुर चीनी, बीएचईएल, भूषण स्टील, सिप्ला, कॉक्स एंड किंग्स, डेक्कन क्रोनिकल, धामपुर शुगर, जयप्रकाश एसोसिएट्स, जेके टायर, जेएसडब्ल्यू स्टील, महिंद्रा एंड महिंद्रा, मोनसैंटो इंडिया, नाहर स्पिनिंग, ऑयल इंडिया, पटेल इंजीनियरिंग, राजेश एक्सपोर्ट्स, रुचि सोया, सबेरो ऑर्गेनिक्स, संघवी मूवर्स, टाटा पावर, टाटा मोटर्स, यूनिटेक, विविमेड लैब्स व जुआई इंडस्ट्रीज जैसे चर्चित नाम शामिल हैं। जिन्हें निवेश करते रहना है, उन्हें फुरसत हो तो स्टॉक एक्सचेंजों की बेवसाइट पर पेश किए जानेवाले नतीजों को देखते रहना चाहिए। इससे मोतियों को चुनने में आसानी हो जाती है।
खैर, आज की भागमभाग में कहां किसको इतनी फुरसत। अब तो हर कोई शॉर्ट कट खोजता है। अभी तक जितने नतीजे आ चुके हैं, उनमें अगर विदेशी मुद्रा दरों के उतार-चढ़ाव से हुए नुकसान को छोड़ दें तो ज्यादातर उम्मीद से बेहतर रहे हैं। ब्याज की लागत और औद्योगिक सुस्ती के असर को शामिल करने के बाद नतीजों से शेयरों के भाव पर ज्यादा नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है। लेकिन जैसा कि हमने दीवाली पर कहा था कि बाजार को गिराने के लिए डाउनग्रेड का चक्कर चल सकता है। भारत का डाउनग्रेड तो नहीं हुआ है। लेकिन डर जरूर है जिसे रोकने की हरसंभव कोशिश में हमारी सरकार लगी है। इस बीच मूडीज ने मौका ताड़कर भारतीय बैंकिंग उद्योग को डाउनग्रेड कर लिया। अगले ही दिन उसकी प्रतिद्वंद्वी रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने इसी उद्योग को अपग्रेड कर दिया। लेकिन निहित स्वार्थ वालों को मौका मिल गया तो तेजी के अस्थिर माहौल का फायदा उठाकर वे निफ्टी को 5150 तक गिरा ले गए।
अच्छे नतीजों के बावजूद एनपीए (डूबत ऋण) के बढ़ने के नाम पर फिर एसबीआई को तोड़कर 1800 रुपए के नीचे ले जाया गया है। लेकिन यह जल्दी ही 2000 रुपए के ऊपर पहुंच जाएगा, इसमें कोई दो राय नहीं। अगस्त में जब स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने अमेरिका की रेटिंग घटाई थी तो अमेरिकी बाजार पर बहुत बुरा असर पड़ा था। डाउ जोंस सूचकांक 10,500 तक नीचे चला गया। लेकिन महज ढाई महीनों में वह 15 फीसदी फीसदी से ज्यादा बढ़कर 12,150 के ऊपर पहुंच चुका है। इसलिए डाउनग्रेड वगैरह का बहुत असर नहीं पड़ता। एसबीआई फिर उठेगा। इस मौके को ट्रेडर से लेकर निवेशक तक अपने फायदे में इस्तेमाल कर सकते हैं।
हमारा मानना है कि किसी भी स्टॉक को डाउनग्रेड के तुरंत बाद तेज झटका लगता है और लोगबाग अपनी पोजिशन घटाने व शॉर्ट सेलिंग करने लग जाते हैं। लेकिन इसी क्रम में वो ऐसा धरातल पकड़ लेता है जहां मजबूत हाथ इसकी तरफ खिंचते चले आते हैं। ऐसे स्टॉक फिर जमने के दौर में चले जाते हैं और तब इनमें ऊपर की उठान शुरू हो जाती है। इसलिए हमारी दृढ़ मान्यता है कि पूरा बैंकिंग सेक्टर और खासकर एसबीआई नीचे जाने का चक्र पूरा कर चुका है। निवेशकों को इन्हें लंबे समय के लिए ले लेना चाहिए।
एक और सेक्टर, जिसमें काफी खरीद हो चुकी है और जिसे अब डाउनग्रेड किया जा सकता है, वो है हेल्थकेयर। किसी भी दिन, किसी भी वक्त कोई अंतरराष्ट्रीय एजेंसी, निवेश बैंक या ब्रोकरेज फर्म इसे डाउनग्रेड कर सकता है। इस सेक्टर में एफआईआई का निवेश तकरीबन 10 फीसदी पर पहुंच चुका है। मूल्यांकन काफी खींचा जा चुका है। इसलिए डाउनग्रेड से इसे वाजिब स्तर पर लाने की कसरत होगी। इस बीच रीयल्टी स्टॉक्स अपना न्यूनतम स्तर पकड़ने के बाद अब खुद को उठने के लिए तैयार कर रहे हैं। सरकार के पास ट्रम्प कार्ड है कि वो रीयल्टी सेक्टर को एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) के लिए खोल सकती है।
बाजार में डर और लालच तब काम करते हैं, जब आप उधार के पैसों पर धंधा या डेरिवेटिव सौदे करते हो। अगर सारा पैसा आपका अपना है और आप कैश बाजार में निवेश कर रहे हो, तब आप बाजार के गिरने को भगवान का दिया मौका मानोंगे क्योंकि ऐसा होने पर अच्छे-अच्छे स्टॉक आपको सस्ते में मिल जाते हैं। ऐसे में आपको निवेश का ही नहीं, ट्रेडिंग का भी अच्छा मौका मिल जाता है। हर गिरावट पर खरीदने की रणनीति अगले चार साल तक कारगर होगी। मेरी यह बात आप कहीं गहरी स्याही से नोट करके रख लें। यह भी ध्यान रखें कि गिरावट का मौजूदा ज्यादा से ज्यादा दिसंबर तक यानी डेढ़ महीने और खिंचेगा। नया साल 2012 अपना होगा। उसके लिए मुबारकबाद अभी से ले लीजिए।