हमारे वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा एक साथ तीन-तीन रोल निभा रहे हैं। वे उद्योग मंत्री भी हैं और कपड़ा मंत्री भी। उद्योग को छोड़ दें तो बाकी दो भूमिकाओं में वे बराबर कुछ न कुछ बोलते और करते रहते हैं। अब उन्होंने विदेश व्यापार नीति (2009-14) के तहत कपड़ा उद्योग के लिए विभिन्न प्रोत्साहनों की घोषणा कर दी है। यह क्षेत्र विश्व स्तर पर आर्थिक अनिश्चितता और घरेलू स्तर पर दबाव की दोहरी मार झेल रहा है।
उन्होंने कपड़ों के निर्यात से संबंधित एमएल एफपीएस (मार्केट लिंक्ड फोकस प्रोडक्ट स्कीम) का दायरा व वक्त बढ़ा दिया है। पहले यह स्कीम अमेरिका को किए गए निर्यात पर 30 सितंबर 2010 और यूरोप को किए गए निर्यात पर 32 मार्च 2011 तक ही लागू थी। अब दोनों ही के लिए इस स्कीम के विस्तार का फैसला किया गया है। अभी तक सिलेसिलाए कपड़े इस स्कीम में नहीं थे। लेकिन अब इन्हें लाया जा सकता है।
नई नीति में एफपीएस के तहत वस्तुओं की सूची को बढ़ाया गया है। इसमें 130 अतिरिक्त वस्तुओं को शामिल किया गया है। ये वस्तुएं विशेषकर रसायनिक, फार्मास्टुकिल, कपड़ा, हस्तशिल्प, इंजीनियरिंग तथा इलेक्ट्रोनिक क्षेत्रों से है। सरकार पहली पीढ़ी के उद्यमियों को सलाह देने के लिए निर्यात-बंधु योजना विकसित कर रही है। इस योजना के अंतर्गत डीजीएफटी के अधिकारी इच्छुक व्यक्ति को सलाह देंगे। साथ ही भारतीय निर्यात परिषद (आईईसी) के आवेदन इस साल जनवरी से ऑनलाइन उपलब्ध हैं।