केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम लगता है कि आंख मूंदकर पश्चिमी देशों की नकल करने में उस्ताद हो गए हैं। उन्होंने बुधवार को कहा कि अमीर लोगों को अधिक कर देने के लिए तैयार रहना चाहिए, भले ही कई लोगों को यह बात पसंद क्यों न आए। बता दें कि आर्थिक मुश्किल में फंसे अमेरिका में यह पेशकश हो चुकी है और वित्तीय संकट से घिरे यूरोप में भी ऐसी चर्चाएं हैं।
चिदंबरम ने आल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (आइमा) के कार्यक्रम में कहा कि हमें कर राजस्व बढाने की जरूरत है। हो सकता है कि कई लोगों को यह बात पसंद न आए लेकिन ऐसा होना चाहिए। गृह मंत्री ने कहा, “वित्त मंत्री के रूप में कर दरों में ‘मैंने कटौती की। इसलिए अब मैं आज कहना चाहूंगा कि आपको अधिक कर देने के लिए तैयार रहना चाहिए। विशेषकर अमीर लोगों को ज्यादा कर भुगतान के लिए खुद को तैयार करना चाहिए।’’
नोट करने की बात है कि ये चिदंबरम ही हैं जिन्होंने बचत खाते की जमा पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगाया है। एक तो बचत खाते पर मिलनेवाले 3.5 फीसदी ब्याज को 10 फीसदी की मुद्रास्फीति निगल जाती है। ऊपर से उस पर टैक्स देना पड़ता है। शेयरों के सौदों पर एसटीटी लगाने का सेहरा भी चिदंबरम के सिर पर बंधा है।
चिदंबरम का कहना था कि यूरोप में आज आंदोलन चल रहा है, जिसमें अमीर लोग यह कहने के लिए एकजुट हुए हैं कि उन पर अधिक कर लगाया जाए। उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित रूप से यह वह जगह नहीं है और न ही मैं वह व्यक्ति हूं, जो कहे कि कौन से कर बढने चाहिए। लेकिन हमें इस बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए कि देश का कर राजस्व कैसे बढे।’’
उन्होंने कहा कि चिन्ताजनक बात यह है कि कर राजस्व, गैर कर-राजस्व, गैर ऋण पूंजी राजस्व और उधारी के जीडीपी के हिस्से के रूप में 14 फीसदी से गिरकर 2011-12 में 13.11 फीसदी रहने की संभावना है।