तिहाड़ जेल में बंद पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने सोमवार को दिल्ली की एक अदालत में मांग की कि पूर्व वित्त मंत्री और वर्तमान गृह मंत्री पी चिदंबरम को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में बुलाया जाना चाहिए और उनसे गवाह के तौर पर पूछताछ की जानी चाहिए।
राजा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील कुमार ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश न्यायमूर्ति ओ पी सैनी से कहा कि एजेंसी को कैबिनेट की एक बैठक के संदर्भ में चिदंबरम का बयान दर्ज करना चाहिए, जिसमें उन्होंने शेयरों को कम करने के मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट की थी। राजा के वकील ने कहा कि चिदंबरम से यह पूछा जाना चाहिए कि क्या उन्होंने प्रधानमंत्री की मौजूदगी में शेयरों को कम करने के मुद्दे पर सुझाव दिया था।
उन्होंने कहा, “चिदंबरम को यहां बुलाया जाए और पूछा जाए कि क्या यह बैठक प्रधानमंत्री की मौजूदगी में हुई थी या नहीं, और क्या आपने यह सुझाव दिया था या नहीं।”
उधर, 2जी घोटाले में पूरी तरह घिर चुकी यूपीए सरकार के संकटमोचकों के उपाय अब खत्म होने लगे हैं। सरकार के शीर्ष नेतृत्व को इस घोटाले के जाल से बचाने के लिए यह सिद्ध होना जरूरी है पूर्व संचार मंत्री ए राजा के फैसले से देश के खजाने को किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ है।
बीते सप्ताह अदालत के सामने पेश टीआरएआई की रिपोर्ट इसी कोशिश का हिस्सा थी जो औंधे मुंह गिर पड़ी। घोटाले की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति भी इसी दिशा में कोशिश कर रही है। राजा के फैसलों में सरकार के शीर्ष नेतृत्व की सहमति को साबित करने वाले तमाम दस्तावेजी सुबूत देश और अदालत के सामने हैं। राजा के निर्णय से राजस्व के नुकसान का पहलू यदि कानूनी तौर पर साबित हो जाता है तो फिर प्रधानमंत्री व तत्कालीन वित्त मंत्री इस हानि की परोक्ष जिम्मेदारी से बच नहीं सकेंगे।