सभी लोग कंपनियों के लाभ मार्जिन के कम या ज्यादा होने की बात करते हैं। लेकिन कोई इस बात पर गौर नहीं करता कि देश के अन्नदाता किसानों का लाभ मार्जिन कितना घटता जा रहा है। एक तो वैसे ही 90 फीसदी किसान गुजारे लायक खेती करके जिंदा है, ऊपर से मार्जिन में सुराख ने गरीबी में आटे को और गीला कर दिया है।
एक खबर के अनुसार, धान की फसल पर किसानों ने पिछले साल प्रति एकड़ 11,500 रुपए खर्च करके 4000 रुपए का फायदा कमाया था। इस साल डीजल से लेकर मजदूरी तक के महंगा हो जाने से उसकी लागत बढ़कर 14,000 रुपए प्रति एकड़ हो गई है। लेकिन मुनाफा वहीं 4000 रुपए पर अटका हुआ है। बता दें कि धान की फसल इस समय कटकर खलिहानों में आ चुकी है और अब उसे बेचने का सीजन चल रहा है।
फिलहाल व्यापारी किसानों को एक महीने अगस्त तक धान का 9 रुपए प्रति किलो भाव दे रहे थे। अब बड़ी मुश्किल से 7.50 रुपए प्रति किलो दे रहे हैं। हालांकि एफसीआई (भारतीय खाद्य निगम) पंजाब व हरियाणा में धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 10.80 रुपए प्रति किलो दे रहा है। फिर भी किसानों को परता नहीं पड़ता। इस साल कीटनाशकों का दाम 11 फीसदी, डीजल का दाम 32 फीसदी और बीजों का दाम 55 फीसदी तक बढ़ चुका है।