खाद्य मुद्रास्फीति की दर 6 अगस्त को समाप्त सप्ताह के दौरान थोड़ा घटकर 9.03 फीसदी पर आ गई। इससे ठीक पिछले हफ्ते में थोक मूल्य सूचकांक आधारित खाद्य मुद्रास्फीति की यह दर 9.90 फीसदी थी। लेकिन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि 9 फीसदी से ऊपर चल रही खाद्य मुद्रास्फीति स्वीकार्य नहीं है। हालांकि आगे इससे कुछ राहत मिल सकती है।
वित्त मंत्री ने गुरुवार को राजधानी दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि 9 फीसदी की खाद्य मुद्रास्फीति स्वीकार्य नहीं है। मुझे उम्मीद है कि कुछ कृषि जिंसों की आपूर्ति बाधाओं को खत्म करने के लिए उठाए गए कदमों और मानसून अच्छा रहने पर खाने-पीने की वस्तुओं व अन्य आवश्यक सामग्रियों के दामों में आगे और गिरावट आएगी।
उन्होंने कहा कि फरवरी 2010 के 22 फीसदी के स्तर से खाद्य मुद्रास्फीति अब काफी नीचे आ चुकी है। फिर भी यह काफी ऊपर है। मुखर्जी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय हालात अनुकूल नहीं हैं, खासकर जिंसों की कीमतों के मोर्चे पर। ईंधन सहित अन्य जिंसों के दाम ऊंचे हैं। इससे औद्योगिक कच्चे माल, अन्य जिंसों व ईंधन कीमतों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।
बता दें कि पिछले साल अगस्त के पहले हफ्ते में खाद्य मुद्रास्फीति की दर 14.51 फीसदी थी। गुरुवार को वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार, सालाना आधार पर दालें 5.63 फीसदी सस्ती हुई हैं। हालांकि अन्य सभी खाद्य वस्तुएं महंगी हुई हैं। सालाना आधार पर इस दौरान प्याज 37.62 फीसदी महंगा हुआ, जबकि फलों के दाम इस दौरान 26.46 फीसदी बढ़ गए।
वहीं अंडा, मांस और मछली के दाम 9.93 फीसदी बढ़े, जबकि साल दर साल आधार पर दूध 9.76 फीसदी महंगा हुआ। मोटे अनाज व सब्जियों के दामों में क्रमशः 6.23 फीसदी और 2.59 फीसदी का इजाफा हुआ। आलू के दामों में इस दौरान 7.22 फीसदी की बढ़ोतरी रही।