बाजार तेजी का हो तो मुझे अलग से अपनी राय या विचार रखने की जरूरत नहीं है। निफ्टी 5600 तक जा पहुंचा है। यह अपने-आप में ही बहुत कुछ कह जाता है। इसने उन तमाम पंटरों व विशेषज्ञों को गलत साबित कर दिया जो कह रहे थे कि इसका 5500 तक पहुंचना भी असंभव है। मैं बाजार के टिके रहने और इस सेटलमेंट में आगे बढ़ने की चार खास वजहें देखता हूं।
एक, ग्रीस के ऋण संकट का समाधान होना ही होना है। जोखिम से बचनेवाले लोग हमेशा घटना से पहले खरीद लेते हैं, जबकि घटना के बाद उन्हें उबारने का काम चालाक एफआईआई करते हैं। दो, पेट्रोलियम पदार्थों के दाम वैट व कस्टम ड्यूटी में कटौती और कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय मूल्यों में गिरावट के चलते नीचे आएंगे। तीन, बाजार में अब भी शॉर्ट सौदों की भरमार है और यह तब तक रहेगी जब तक निफ्टी 200 दिनों के मूविंग औसत (200 डीएमए) 5765 के पार नहीं चला जाता। और चार, खाद्य मुद्रास्फीति घट रही है जिससे निश्चित रूप से अगले महीनों में सकल मुद्रास्फीति नीचे आएगी।
शायद इसी मायने में कहा जाता है कि बाजार सब कुछ पहले से जानता है, जबकि बाजार के लोगों को इसका अहसास बाद में होता है। लेकिन मीडिया में जिस तरह का हल्ला चलता है उसमें रिटेल निवेशकों को हकीकत देर से समझ में आती है। वे हमेशा भेड़चाल का शिकार होकर दूसरे खेमे में पड़े रहते हैं। जब तक उन्हें सच समझ में आता है, तब तक तेजी का दौर थम चुका होता है।
रिलांयस इडस्ट्रीज (आरआईएल) और स्टेट बैंक दोनों ने अच्छी बढ़त ली तो बाजार बढ़ गया। सेंसेक्स 201.41 अंक बढ़कर 18,693.86 पर बंद हुआ है। मुझे लगता है कि बढ़त का यह सिलसिला कल भी चलेगा क्योंकि इस सेटलमेंट में भाव काफी दबे रहे हैं जो दिखाता है कि शॉर्ट सौदों में लोग फंसे हुए हैं। फिजिकल सेटलमेंट के अभाव में तेजड़िए इसका अधिकतम लाभ उठाने की कोशिश करेंगे। यही बात टाटा मोटर्स पर भी लागू होती है।
अंत भला तो सब भला। निश्चिंत रहें। सब ठीकठाक है। आगे भी जो होगा, अच्छा ही होगा।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का फीस-वाला कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)