अगर अप्रैल से शुरू हो रहे नए वित्त वर्ष के दौरान आप अपना पहला मकान खरीदते हैं और उसके लिए किसी बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी से 25 लाख रुपए तक का होमलोन लेते हैं तो आप ब्याज के रूप में चुकाए 2.50 लाख रुपए को अपनी करयोग्य आय से घटा सकते हैं। यानी, आपकी करयोग्य आय अगर 7.50 लाख रुपए है तो आपको पांच लाख रुपए पर ही इनकम टैक्स भरना पड़ेगा। अभी तक होमलोन में प्रतिवर्ष ब्याज के रूप में चुकाए गए 1.50 लाख रुपए ही आप करयोग्य आय से घटा सकते हैं।
वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने वित्त वर्ष 2013-14 के बजट में नया प्रावधान करते हुए कहा कि इससे घरों की खरीद को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही स्टील, सीमेंट, ईंट, लकड़ी व ग्लास जैसे उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और हज़ारों कंस्ट्रक्शन मजदूरों को काम मिलेगा। लेकिन ध्यान रखें कि यह रियायत पहला मकान लेनेवाले को ही मिलेगी और यह संभवतः केवल अगले वित्त वर्ष के लिए ही है। बजट भाषण में यह साफ नहीं किया गया है।
अगर होमलोन के मूलधन के रूप में अदा किए गए एक लाख रुपए को जोड़ दें कि नए साल में कोई करदाता अपनी करयोग्य आय 3.50 लाख रुपए घटा सकता है। लेकिन व्यवहार में देखें तो अधिकतम रकम तीन लाख से ज्यादा नहीं हो सकती। मान लीजिए कि आप 25 लाख का होमलोन 20 साल के लिए 10.5 फीसदी सालाना की फ्लोटिंग ब्याज दर पर लेते हैं। इसकी ईएमआई 24,960 रुपए बनती है। इस तरह आप पहले साल बैंक को कुल 2,99,520 रुपए लौटाएंगे। इसमें से मूलधन के 38,850 रुपए ही होंगे, जबकि 2,60,670 रुपए ब्याज के होंगे। इस ब्याज में से 2.50 लाख रुपए आप करयोग्य आय में से घटा सकते हैं। बाकी मूलधन में भले ही आप एक लाख रुपए घटा सकते हों, लेकिन वास्तविक रकम 38,850 रुपए ही होगी।
दूसरे, एक समस्या यह भी है कि इस समय 25-30 लाख रुपए में कायदे का घर नहीं मिल पा रहा। अपनी जेब से 5-10 लाख देना बहुतों पर भारी पड़ता है। इसलिए इस प्रावधान का फायदा छोटे शहरों के लोग ही अपेक्षाकृत सस्ते मकानों के लिए उठा पाएंगे।