मार्क मोबियस का यह कहना मेरे लिए बड़ा सुकून भरा रहा कि वे पिछले एक महीने से ब्रिक (ब्राजील, रूस, भारत व चीन) देशों में खरीदारी कर रहे हैं। मुझे तसल्ली हुई कि कम से कम मेरा एक चाहनेवाला खुल्लम-खुल्ला मान रहा है कि अनिश्चितता का दौर बाजार में खरीदारी का सबसे अच्छा वक्त होता है।
निफ्टी जब 5000 या 5050 अंक पर था, तभी हमने अनुमान जताया था कि वैश्विक संकट के चलते यह 4850 तक जा सकता है और ऐसा हो भी गया। बाजार में जो V आकार की गति रही है, रिकवरी हुई है, वह इस सच्चाई को सामने लाती है कि हम अभी तेजी के दौर में हैं।
निफ्टी के 5000 के पार जाते ही पूरा दृश्य रातोंरात बदल गया है। ज्यादातर एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) निफ्टी में तब शॉर्ट हुए जब वह 4995 पर था और बाजार गिर रहा था। अब वे शॉर्ट सौदे करके फंस चुके हैं और निफ्टी की खरीद आगे नहीं बढ़ा सकते क्योंकि सौदों को आगे ले जाने की लागत बहुत बढ़ चुकी है। वे अगले एक महीने तक चिल्लाएंगे कि बाजार बहुत बुरा है और इसके बढ़ने से राहत मिलेगी। वे अपनी खरीद के सौदों को कवर करने की कोशिश करेंगे। कुल मिलाकर हुआ यह है कि भारतीयों ने इस बार भी एफआईआई को धता बता दी है।
सेटलमेंट की समाप्ति के साथ तकलीफ का दौर बीत गया है। शॉर्ट सौदों का रोलओवर कर दिया गया है, जबकी खरीद के सौदे काट लिए गए हैं। नए सौदे कल से खड़े होंगे और कल बाजार (सेंसेक्स) के 300-400 अंक बढ़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
फिर भी, मुझे अपना दायित्व निभाना है। आप जो नुकसान उठा चुके हैं, उसमें मैं आपकी मदद नहीं कर सकता। लेकिन अगर आप अच्छी-खासी वसूली चाहते हैं तो आईएफसीआई, आईडीबीआई और एससीआई में खरीद बनाए रखिए। इनसे तुरंत फायदा होनेवाला है। खासकर, गिरावट के इस दौर में भी आईएफसीआई ने खुद को बचाए रखा तो इससे यही संकेत मिलता है कि उसमें जल्दी ही खुशखबरी आनेवाली है। आप आईएफसीआई और एससीआई की तहकीकात से पता लगा सकते हैं इनमें क्या कुछ और कैसे होनेवाला है।
कोई चार्ट या टेक्निकल एनालिस्ट बाजार को लंबे समय तक नियंत्रित नहीं कर सकता। हां, कुछ फंड दूसरों के पैसे (ओपीएम) की कीमत पर जबरदस्ती बिकवाली कर बाजार का संतुलन बिगाड़ने की कोशिश कर सकते हैं। हालांकि इधर कुछ समय से भारतीय बाजार में गहराई आई है और घरेलू निवेशक संस्थाएं (डीआईआई) एफआईआई से ज्यादा ताकतवर हो गई हैं। इसकी खास वजह घरेलू खपत का बढ़ना है। हो सकता है कि आपको भारतीय अर्थव्यवस्था की ताकत पर भरोसा न हो। लेकिन मुझे तो है और जमकर है।
गलती करना कोई बुरी बात नहीं। लेकिन उसे दोहराते चले जाना यकीकन बुरी बात है।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है । लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)