जब भी कभी बाजार गिरता है और हर तरफ से बेचो-बेचो की पुकार आने लगती है तब मैं बाजार के बर्ताव और निवेशकों व ट्रेडरों के मनोविज्ञान पर मुस्कुराने लगता हूं। ऐसा लेहमान ब्रदर्स के दीवालिया होने की खबर के बाद भी हुआ था, जब बाजार में जबरदस्त बिकवाली चली थी। असल में आप इसी तरह हवा में बहकर बाजार को नीचे-नीचे पहुंचा देते हैं और दूसरों को अपने ऊपर सवारी गांठने का मौका दे देते हैं।
आज ही मैंने एक रिपोर्ट में पढ़ा कि भारत में स्टील की मांग उत्पादन से सात गुना ज्यादा हो जाएगी और हमें 2012 तक स्टील का आयात करना पड़ सकता है। अभी दुनिया के कुल स्टील उत्पादन का 17 फीसदी हिस्सा चीन में खपता रहा है। अब इस कड़ी में भारत भी शामिल होने जा रहा है। स्टील बहुत ही ऊंची लागत वाला उद्योग है। इसलिए इसमें हर कोई नहीं उतर सकता। केवल फॉर्च्यून-500 सूची में शामिल कंपनियां ही 100 लाख टन से अधिक क्षमता का संयंत्र लगा सकती हैं।
इस उद्योग में अगला चरण विलय व अधिग्रहण का होने जा रहा है। इसी तरीके से कंपनियां अपना आकार बढ़ाएंगी। मैंने सीईएससी और केईसी इंटरनेशनल को तब पकड़ा था जब इनके शेयर के भाव 17 रुपए थे। आप जानते ही हैं कि ये दोनों शेयर अब 390 कहां पहुंच गए हैं (सीईएससी 390 रुपए और केईसी 514 रुपए)। राठी बार्स एक ऐसा ही नया शेयर है। आप देखते जाइए कि यह शेयर कैसे एक दिन अपनी पताका फहराता है।
निफ्टी में काफी ऊपर-नीचे हुआ है। यूरोपीय संघ की आज, मंगलवार को फिर एक बैठक होनी है। इस दौरान रोलओवर की तकलीफ तो जारी रहेगी। लेकिन धैर्य बनाए रखिए।
अगर आप जिंदगी में कामयाब होना चाहते हैं तो उसे किसी मकसद, किसी मंजिल से बांध लीजिए, लोगों या चीजों से नहीं।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है । लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)
मक़सद या मंज़िल। ना कि लोग या चीज़ें।
— भावो हि कारणम्
–भाव ही कारण है