आईपीएल के मूल्याकंन पर हमारे विचार न केवल एक्सक्लूसिव थे, बल्कि बाजार की उम्मीदों से काफी जुदा थे। कोई भी एनालिस्ट आईपीएल के लिए 22.5 करोड़ डॉलर से ऊपर नहीं जा सका क्योंकि एक तो उनके पास सही नजरिया नहीं है और दूसरे वे आशावादी से कहीं ज्यादा निराशावादी हैं। हालांकि हमने इंडिया सीमेंट पर अपनी रिपोर्ट मे शुरुआत में इसका मूल्य 25 करोड़ डॉलर आंका था। लेकिन हमने यकीन के साथ कहा था कि यह 30 करोड़ डॉलर के ऊपर जा सकता है और सचमुच यह रहा 37 करोड़ डॉलर।
इस मसले में दुनिया की दिलचस्पी का कारण यह है कि अब आईपीएल के मूल्यांकन की तुलना यूएस स्पोर्ट्स, यूके लीग या टोरंटो मैपल लीफ से की जा रही है। एक और दिलचस्प पहलू है इतने जबरदस्त मूल्यांकन पर आईपीएल के निवेशकों के लिए निकलने की राह। सीएनआई ने साफ-साफ कहा था कि निकलने की यह राह आईपीओ हो सकती है और 12 घंटों से भी कम समय में सहारा प्रमुख सुब्रतो रॉय का आधिकारिक बयान आ गया कि उनका समूह इसके लिए 2013 में आईपीओ ला सकता है।
इसमें कोई शक नहीं कि आईपीएल की आठ पुरानी टीमें हैं और नए मूल्यांकन से बहुत-सी कंपनियों का दमखम बढ़ जाएगा। लेकिन हम तो केवल एक स्टॉक – इंडिया सीमेंट (आईसीएल) पर केंद्रित कर रहे हैं। कारण यह है कि सीमेंट का इसका मूल बिजनेस भी काफी तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि सीमेंट के दाम बढ़ते जा रहे हैं। कंपनी मांग में सुधार के कारण अपनी सीमेंट उत्पादन क्षमता में 40 लाख टन का इजाफा भी कर रही है। इस शेयर को आमतौर पर हाथी जैसा माना जाता है और ट्रेडर इससे दूर ही रहते हैं। लेकिन समझदार निवेशक इसकी कीमत समझते हैं। अगर केवल आईपीएल के मूल्य को ही आधार बनाएं जो अगले साल की नीलामी में 50 करोड़ डॉलर तक जा सकता है तो इसी से इसके शेयर में 100 रुपए नए जुड़ जाएंगे।
रिसर्च में ऐसी ही बातें मायने रखती हैं न कि बस चीड़फाड़ करना। हम काफी पहले बजट के बाद के बाजार का अनुमान लगाने में सफल रहे, ब्याज दरें बढ़ने को लेकर भी हमारा अनुमान सही निकला और आईपीएल के मूल्यांकन में भी हमारा निष्कर्ष सच के एकदम करीब था। आप यकीन करें कि भारत में बाजार ऐसी बातों से प्रभावित होता है और जरा-सा गलत अनुमान बाजार के पूंजीकरण की ऐसी-तैसी कर सकता है। लेकिन सीएनआई ऐसे हर मसले पर सही रही है हालांकि बाजार के ऊपरी हिस्से तक उसकी पहुंच सीमित है।
जहां तक बाजार की दशा-दिशा की बात है तो मैं दोहराना चाहता हूं कि ब्याज दरों में वृद्धि बाजार को बढ़ने से नहीं रोक सकती। अभी अमेरिका में 3 लाख करोड़ डॉलर की नकदी या तरलता है। भारत में इसकी मात्रा 700-800 करोड़ डॉलर है। रिटेल निवेशकों और अमीर व्यक्तियों (एचएनआई) के साथ ही घरेलू निवेश संस्थाओं (डीआईआई) का काफी कम पैसा अभी बाजार में लगा है। ऐसे में बाजार के गिरने का सवाल ही नहीं उठता। इसके अलावा जीडीपी (अर्थव्यवस्था की विकास दर) को बढ़ना ही है, सरकार राजकोषीय घाटे को संभालने में लगी है, कंपनियों का कारोबार शानदार चल रहा है और भारत दुनिया के निवेश का केंद्र बनता जा रहा है। असल में, मैंने कहीं पढ़ा है कि दुनिया के निवेशक कह रहे हैं कि धन कमाने के सारे स्रोत अब भारत में हैं।
बाजार अभी शॉर्ट चल रहा है क्योंकि कारोबारियों को कम भावों पर सौदे काटने का पर्याप्त मौका नहीं मिला। दूसरे बाजार पहले हासिल की गई ऊंचाई के काफी करीब तक पहुंच गया है। इसलिए शॉर्ट सेलर्स को लगता है कि अब उन्हें अपने सौदे ऊंचाई के नए स्तर पर ही काटने पड़ेंगे। दिलचस्प बात यह है कि ये लोग जब शॉर्ट कवरिंग करेंगे यानी पुराने सौदों को पूरा करने के लिए नई खरीद करेंगे तो बाजार और उठ जाएगा। कैश सेगमेंट के लिए 29 मार्च इस सेटलमेंट का आखिरी दिन है। इसके बाद बी ग्रुप के शेयरों में असली धमाका हो सकता है।
अनिश्चितता से भरी इस दुनिया में किस्मत उसी का साथ देती है जो पहले से जोखिम को नांथने की तैयारी कर चुके होते हैं।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है लेकिन फालतू के वैधानिक लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)
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