हमारा मानना था कि निफ्टी आज उठेगा। पर ऐसा हुआ नहीं। हालांकि इसमें गिरावट भी नहीं आई। असल में बाजार ए ग्रुप के ऑटो, मेटल व बैंकिंग शेयरों में ओवरबॉट की स्थिति में आता जा रहा है यानी इनमें काफी खरीद हो चुकी है, जबकि रीयल्टी व इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों के शेयरों में खरीद का स्तर काफी कम है। हमने बजट के फौरन बाद कह दिया था कि रीयल्टी व इंफ्रा कंपनियों पर सर्विस टैक्स का ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। बाजार को अब इस बात का अहसास हुआ, जब एचडीआईएल ने ऑन-रिकॉर्ड मान लिया है कि ऐसा कोई खास प्रभाव पड़ेगा।
मैं मानता हूं कि रीयल्टी और इंफ्रा कंपनियों के शेयरों में आनेवाले दिनों में काफी बढ़त हो सकती है क्योंकि बजट ने इनके लिए मुनासिब मौके पेश किए हैं। ऐसे में सर्विस टैक्स के मसले पर घबराना गलत था जिसके चलते शॉर्ट सेलर गच्चा खा गए। आज सेंचुरी, इस्पात, आईडीबीआई और आईएफसीआई ने बढ़त हासिल है और आगे भी ये शेयर अच्छा करेंगे। आईएफसीआई ने बैंकिंग लाइसेंस के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हालांकि मुझे लगता है कि किसी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक का आईएफसीआई में विलय हो सकता है और मेरे हिसाब से यह सबसे बेहतर स्थिति होगी।
कम चर्चित शेयरों में भी हलचल दिख रही है जो इनमें बाजार की दिलचस्पी बढ़ने का संकेत है। इसलिए मेरा सुझाव है कि समझदार निवेशकों को अब समय रहते बी ग्रुप के शेयरों की खरीद में उतरना चाहिए। बाजार का ध्यान भी अब फिर से बी ग्रुप के शेयरों की तरफ जा रहा है।
आसार इस बात के हैं कि एनएमडीसी के इश्यू के बारे में स्पष्टता आ जाने के बाद निफ्टी करेक्शन के बाद 4950 के नीचे जा सकता है। एक समाचार एजेंसी ने खबर दी है कि एनएमडीसी का इश्यू मौजूदा बाजार भाव से कम से कम 20 फीसदी डिस्काउंट या कम भाव पर आ सकता है। बता दें कि एनएमडीसी अपने 33 करोड़ शेयर बेच रही है और सरकार को अगर 14,000 करोड़ रुपए चाहिए तो इश्यू मूल्य 424 रुपए रहना चाहिए जबकि मौजूदा बाजार भाव 435 रुपए का है। 20 फीसदी डिस्काउंट का मतलब यह है कि इश्यू मूल्य 350 रुपए हो सकता है और तब इश्यू का आकार 11,500 करोड़ रुपए का हो जाएगा। लेकिन मान लीजिए, 10 फीसदी और डिस्काउंट हुआ तो एनएमडीसी के एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर) में इश्यू मूल्य 315 रुपए होगा और सरकार को इससे मिलेंगे 10,000 करोड़ रुपए।
एनएमडीसी का मूल्य कितना आंका जाता है, यानी उसका वैल्यूएशन कितना होता है, यह सेसा गोवा के स्टॉक के वैल्यूएशन के लिए बहुत मायने रखता है। सेसा गोवा को सीएनआई ने 353 पर चुना था और तब से इस शेयर में काफी चाल आ चुकी है। इसका मौजूदा भाव बीएसई में 454 रुपए है। आज आइरन ओर या लौह अयस्क की कीमतें बढ़ने की चर्चा के बीच यह हाल के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया। इसमें ओपन इंटरेस्ट 22 लाख से ज्यादा शेयरों का है जो साफ दिखाता है कि ऊंचे भाव पर इसमें भारी खरीद हुई है और सच कहें तो इसमें करेक्शन या भाव घटने की तैयारी है।
बजट से सबसे ज्यादा फायदे में रहनेवाले सेक्टर मेटल, सीमेंट और कंज्यूमर ड्यूरेबल हैं और इसलिए निवेशकों को इन सेक्टरों की कंपनियों में पैसा लगाना चाहिए। इसके अलावा ऑटो एंसिलरी सेक्टर में क्षमता विस्तार की काफी गुंजाइश है क्योंकि दुनिया भर में मांग आपूर्ति से कहीं ज्यादा है।
अब एक दिलचस्प बात। शेयर बाजार में कैसे खेल होते हैं और कैसे बाजार नियामक (यानी सेबी) मूक दर्शक बने रहने के अलावा कुछ नहीं कर सकता, इसका अंदाज देश के जानेमाने कॉरपोरेट समूहों की बाजार हरकतों से लगाया जा सकता है। एक लिस्टेड कंपनी के प्रवर्तक ने अपने शेयर 18 रुपए के भाव पर बेच डाले और बाकायदा इसकी घोषणा भी कर दी। उसने आधा फीसदी से जरा-सी ज्यादा हिस्सेदारी बेची थी। इसके बाद शेयर लुढ़क कर 7 रुपए तक आ गए। प्रवर्तक ने फिर उतने ही शेयर बेचे। शेयर में भारी कारोबार या वोल्यूम हुआ और ऊपरी सर्किट ब्रेकर लग गया। कंपनी के 16 करोड़ शेयरों में से 15 करोड़ प्रवर्तकों के पास हैं और बाकी बचे करीब 50 लाख शेयरों में 10 लाख शेयरों के सौदे हुए। मैं इस कंपनी का नाम नहीं लूंगा। आप इसका पता आसानी से लगा सकते हैं। लेकिन इतना तय है कि बाजार में हो रही ऐसी दिन-दहाड़े की लूट पहले ही रोक ली जानी चाहिए। इनकी गुंजाइश ही खत्म कर दी जानी चाहिए। वैसे भी हमारे नियामक इतने ताकतवर हैं कि खुद-ब-खुद ऐसे मामलों में कार्रवाई कर सकते हैं। निवेशक भी एक्सचेंजों और नियामक के दरवाजे खटखटा सकते हैं। अब कदम उठाना उनका काम है। अगर हमें पूंजी बाजार में निवेशकों की भागीदारी को बड़े पैमाने पर बढ़ाना है तो ऐसी हरकतों को किसी भी सूरत में चलने नहीं देना चाहिए।
ऊपर से देखो तो कभी कुछ नहीं बदलता, लेकिन बारीकी से देखो तो यह दुनिया, यहां की हर चीज हर क्षण, हर पल बदलती रहती है। ठीक एक क्षण जो पहले था, वैसा इस पल नहीं रहता।
(चमत्कार चक्री एक काल्पनिक नाम है। इस कॉलम को लिखनेवाला खुद को अनाम रखना चाहता है। हालांकि वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है लेकिन फालतू के वैधानिक लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। अंदर की बात बताना और सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)