बाजार की दिशा का अनुमान लगाने में हम ज्यादा गलत नहीं थे। हां, शुक्रवार को हम गलत निकले क्योंकि वैश्विक बाजारों का असर हावी हो गया। लेकिन सोमवार के रुझान के लिए वैश्विक कमजोरी को वजह बताने का क्या तुक है? जैसा मैं हमेशा से मानता रहा हूं कि जब बाजार अपनी तलहटी पर होता है तभी चार्ट के धंधे और टेक्निकल सलाह वाले लोग बिक्री की सलाह दे डालते हैं। और, फिर वैश्विक बाजारों के असर से सभी शॉर्ट सौदे करने लगे। बीएसई सेंसेक्स एक समय 443 अंक नीचे चला गया था। लेकिन तेजड़ियों ने शॉर्ट सौदों को उठाकर सही निशाना लगाया और बाजार बंद हुआ तो सेंसेक्स की गिरावट 159 अंक की रह गई।
हमें वैश्विक बाजार नहीं, भारतीय बाजार पर पड़नेवाले असर को समझना पड़ेगा। मैं आपके सामने भारत का असली सच खुलकर रखता रहा हूं। चलिए देखते हैं कि खुद वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी देश की अर्थव्यवस्था, 3 जी स्पेक्ट्रम और राजकोषीय घाटे पर उसके प्रभाव के बारे में क्या कह रहे हैं।
वित्त मंत्री ने सीएनबीसी टीवी 18 को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा, “3 जी टेलिफोनी स्पेक्ट्रम की नीलामी में मिल रही अप्रत्याशित सफलता से सरकार को विकास को आगे बढ़ाने और बढ़ती कीमतों का मुकाबला करने में ज्यादा सहूलियत हो जाएगी। मैं राजकोषीय घाटे को अनुमानित स्तर पर रखने या उसे सुधारने को खास महत्व देता हूं।” जब उनसे पूछा गया कि 3 जी नीलामी से राजकोषीय घाटे पर क्या असर पड़ेगा तो उनका कहना था, “मुझे काफी तसल्ली हो रही है, लेकिन मैं अति-प्रफुल्लित नहीं हूं।” 3 जी नीलामी से 60,000 करोड़ रुपए से ज्यादा मिलने की उम्मीद है जबकि बजट अनुमान 35,000 करोड़ रुपए का ही था।
प्रणब दा ने कहा, “मैं अंतिम आंकड़ा संसद में पेश करूंगा। मैं लोगों को सुखद सरप्राइज देना चाहता हूं। इसीलिए अभी कोई बात नहीं बोल रहा हूं। मैं स्थितियों को देख रहा हूं। भई, मुझे तो पूरे साल को ध्यान में रखना है।” बता दें कि वित्त मंत्री ने 2010-11 के बजट में राजकोषीय घाटे को घटाकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.5 फीसदी पर ले आने का लक्ष्य रखा है। यह पिछले साल जीडीपी का 6.7 फीसदी था। 45,000 रुपए अतिरिक्त मिल जाने का मतलब होगा राजकोषीय घाटे में एक फीसदी की कमी। इसलिए अगर यह घाटा जीडीपी के 5.5 फीसदी से 4.5 फीसदी पर आ गया तो? एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशकों) को इससे ज्यादा क्या चाहिए? बाकी आप समझ ही सकते हैं।
मैंने नेशनल फर्टिलाइजर्स को तब खरीदने की सिफारिश की थी जब वह 45 रुपए पर था। अब इसका भाव 120 रुपए तक जा चुका है और इसमें नए लक्ष्य बनाए जा रहे हैं। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने आज खबर चलाई है कि मानसून की बेहतर संभावनाओं के चलते उर्वरकों की मांग बढ़ेगी। समझदार निवेशक सही वक्त पर शेयर खरीदकर पैसा बना सकते हैं। विंडसर मशीन का शेयर अब 50 रुपए के आसपास स्थिर हो गया है। शिवालिक बाईमेटल का शेयर किसी भी हालत में 30 रुपए के नीचे नहीं जानेवाला है। अगले छह महीनों में इस शेयर की फिजां ही अलग होगी। हो सकता है तब बाजार के लोग इसे 79 रुपए पर खरीदने की सलाह दें।
खैर जो भी हो। ग्रीस के संकट के बावजूद मैं निफ्टी में 5500 अंक के लक्ष्य लेकर अडिग हूं क्योंकि मुझे लगता है कि बाजार इस पर अनावश्यक प्रतिक्रिया दिखा रहा है और यूरोप के हालात से वैश्विक जीडीपी पर कोई खास फर्क नहीं पड़नेवाला है। फिर भी गुरुवार तक तो रोलओवर के चलते बाजार में उथल-पुथल तो मची ही रहेगी।
काम का वह कोना बड़ी खतरनाक जगह होती है जहां से हमें बाहर की दुनिया नहीं नजर आती।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है । लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)