पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी के बनाए लिस्टिंग समझौते के मुताबिक हर साल सभी लिस्टेड कंपनियों को 15 अप्रैल से पहले मार्च की तिमाही तक शेयरधारिता की ताजा स्थिति स्टॉक एक्सचेंजों के पास भेज देनी होती है और स्टॉक एक्सचेंजों को फौरन यह जानकारी अपनी वेबसाइट पर डाल देनी होती है। लेकिन आज 22 अप्रैल की तारीख बीतने वाली है, फिर भी कम से कम 25 कंपनियां ऐसी हैं जिनकी शेयरधारिता की ताजा जानकारी बीएसई और एनएसई पर उपलब्ध नहीं है। इनमें से कुछ कंपनियां तो ऐसी हैं जिनकी शेयरधारिता के आंकड़े दिसंबर की तिमाही तक भी अपडेट नहीं है।
जिन कंपनियों की शेयरधारिता की अद्यतन जानकारी स्टॉक एक्सचेंजो पर उपलब्ध नहीं है, उनमें बिड़ला एरिक्शन, बिड़ला पावर सोल्यूशंस, बिड़ला प्रेसिजन, टाटा स्पंज, एनआईआईटी, वीआईपी इंडस्ट्रीज, अदानी पावर, धामपुर शुगर्स, बेल्लारी स्टील, त्रिवेणी ग्लास, शिवालिक बाईमेटल, विष्णु शुगर और कावेरी सीड्स जैसे नाम शामिल हैं। इस बाबत बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि उनकी नीति मुंह-जुबानी नहीं, बल्कि लिखित जवाब देने की है तो आप ई-मेल भेज दीजिए। लेकिन हर सेकंड बदलते भावों की इस दुनिया में करीब चार घंटे बीत जाने के बाद भी अर्थकाम के मेल का कोई जवाब उनकी तरफ से नहीं आया।
मुंबई के एक प्रमुख निवेशक संगठन के प्रमुख ने अपना नाम न जाहिर करते हुए कहा कि कंपनी की शेयरधारिता बहुत प्राइस-सेंसिटिव यानी शेयर के बाजार भाव को प्रभावित करनेवाली जानकारी होती है। अगर कंपनियों ने यह जानकारी नही दी है तो स्टॉक एक्सचेंजों को उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। और, अगर स्टॉक एक्सचेंजों ने इसे किसी न किसी वजह से जाहिर नहीं किया है तो यह उनकी लापरवाही ही नहीं, निवेशकों के हितों से किया गया खिलवाड़ है जिसे सेबी को गंभीरता से लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर सेबी इस मामले में स्टॉक एक्सचेंजों के खिलाफ कदम नहीं उठाती तो आखिर कौन उन्हें ठीक करेगा क्योंकि यह निवेशकों की हितों की रक्षा का मामला है।
असल में बहुत सारे समझदार निवेशक भी कंपनी की शेयरधारिता को देखकर निवेश का फैसला करते हैं। ऐसे में अगर उनका फैसला अद्यतन जानकारी पर आधारित नहीं होगा तो उन्हें घाटा उठाना पड़ेगा। हालांकि एक एक्सचेंज के अधिकारी ने अपनी पहचान न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि एक्सचेंज के पास लगभग सारी कंपनियों के ताजा आंकड़े आ चुके हैं। लेकिन स्टाफ की कमी के कारण इन्हें वेबसाइट पर नहीं डाला जा सका है। लेकिन सवाल उठता है कि जहां हर दिन एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार हो रहा हो, लाखों लाख शेयरों के सौदे हो रहे हों, वहां यह कोई जानकारी न देने का बहाना नहीं हो सकता।
असल में बाजार के सही तरीके से काम करने के लिए पारदर्शिता और सारी जानकारियों की सार्वजनिक उपलब्धता जरूरी होती है। इसके अभाव में बाजार ठीक से काम नहीं कर सकता और वहां धांधली शुरू हो जाती है। स्टॉक एक्सचेंजों की ऐसी ही एक गड़बड़ और सामने आई है कि वे हफ्तों बीत जाने के बाद भी छोटी कंपनियों के नतीजों को सार्वजनिक नहीं करते। इस बीच ये कंपनियां स्थानीय अखबारों में अपने वित्तीय परिणाम छपवा चुकी होती हैं। स्टॉक एक्सचेंजों का यह रवैया छोटी कंपनियों के शेयरों में अटकलबाजी और सट्टेबाजी का सबब बन गया है।