चार्ट की महिमा बघारनेवाले ज्यादातर टेक्निकल एनालिस्ट 14000 से 12000 की तलहटी खोजने में लगे रहे, लेकिन बीएसई सेंसेक्स आज 17000 की ऊंचाई तक जा पहुंचा। मैं आपका ध्यान पहले ही एलआईसी की उस टिप्पणी पर खींच चुका हूं, जिसमें मार्च के अंत तक सेंसेक्स के 17500 तक पहुंचने की इच्छा जताई गई थी। अभी हम मार्च की शुरुआत में हैं और सेंसेक्स 17000 पर पहुंच चुका है। 10 मार्च को एनएमडीसी का 200-300 अरब डॉलर का पब्लिक इश्यू आ रहा है। इसलिए मैं मानता हूं कि तब तक बाजार नहीं गिरेगा।
सौदों के रोलओवर पर विचार 15 मार्च के आसपास शुरू होगा। उसी वक्त अग्रिम टैक्स संग्रह के आंकड़े भी आएंगे। इसलिए मुझे उम्मीद है कि बाजार में करेक्शन यही कोई 14 मार्च से 25 मार्च के दरमियान होगा। 26 मार्च से बी ग्रुप के शेयरों में नई फंडिंग से जान आने लगेगी। इस दौरान इन शेयरों में बहुतेरे खेल होंगे। इसलिए इनमें अचानक आए उतार-चढ़ाव से अचंभित होने की जरूरत नहीं है।
मैं तो इस समय तहेदिल और तबीयत से उन्हें खोज रहा हूं जिन्होंने निफ्टी के 3800 पर जाने का दावा किया था और यह बात कुछ एजेंसियों पर भी प्रचारित की थी। तलाश उनकी भी है जो सेंसेक्स के 12000 पर जाने का लक्ष्य बनाए हुए थे। मैंने भी कहा था कि बुरी से बुरी हालत में निफ्टी 4500 तक जा सकता है। लेकिन मेरी सोच बाजार की तेजी को लेकर ही रही है। अर्थव्यवस्था की बुनियादी ताकत को ध्यान में रखना जरूरी है।
आखिर कैसे कुछ लोग खुद को बाजार या सरकार से ऊपर होने का गुरूर पाल सकते हैं? टेक्निकल एनालिस्ट टॉप पर ब्रेक आउट और बॉटम पर सेल आउट बनाते रहते हैं। लेकिन हर बार लेहमान जैसा हादसा नहीं हो सकता। 2008 का वह दौर अपवाद था जब ऑपरेटरों का स्टॉप लॉस ट्रिगर हो गया और उनके सौदे भारी-भरकम थे, जिससे अफरातफरी मच गई। यह बाजार का एक सिरा था। हर समय ऐसा नहीं हो सकता। वैसे भी वे सेंसेक्स के 8000 से 18000 तक जाने के दौर में अच्छे-खासे नोट बना चुके थे और इसलिए अब फिर से धंधे में हैं। ग्रीस जैसी छोटी-मोटी समस्याएं आ सकती हैं, लेकिन आप उनसे मैदान छोड़ने की उम्मीद नहीं कर सकते।
हालांकि अब भी 2008 जैसा नुकसान तमाम निवेशकों को हो चुका है। इन ‘भविष्यवक्ताओं’ के चलते निवेशक डर गए कि सेंसेक्स 6000 तक चला जाएगा और वे अपने शेयर बेचने पर उतारू हो गए। उन्हें घाटा सहना पड़ा है। सीएनआई के 55000 सदस्यों में से भी कुछ लोग हैं जो हमारी सेवाओं से संतुष्ट नहीं है क्योंकि वे गले तक सट्टेबाजी करने में यकीन रखते हैं। चूंकि सीएनआई डे-ट्रेडिंग में यकीन नहीं रखती और अपने सदस्यों को हमेशा इससे दूर रहने की सलाह देती है, इसलिए ऐसे लोगों को तो हमेशा असंतुष्ट ही रहना है। वे टिस्को के 550, सेंचुरी के 460, आईडीबीआई के 115 और इंडिया सीमेंट के 110 तक गिर जाने से खुश नहीं हुए। वे यह नहीं समझ पाते कि ये शेयर पूरी तरह बाजार के ऑपरेटरों के हाथ के खिलौने हैं और वे इन्हें अपने हिसाब से नचाते हैं। ये सभी शेयर जमीन पर थे, तभी सेल का ट्रिगर पैदा कर दिया गया और ये सभी शॉर्ट सेलर फंस गए। यही बात हम नहीं चाहते।
सौदे अपनी सीमाओं को समझकर करने चाहिए। भरोसे के साथ उतरना चाहिए कि बाजार की मानसिकता के कारण थोड़े समय के लिए भाव गिर भी सकते हैं। हमने देखा है कि इन सभी शेयरों के भाव हमारी शुरुआती कॉल से नीचे चले गए और नतीजतन नुकसान हुआ। लेकिन ठीक यही वजह है कि हमने पिछले 12 महीनों में किसी में भी नुकसान नहीं उठाया, जबकि इस दौरान बाजार में भयंकर उठापटक होती रही।
निफ्टी नीचे में 4650 तक चला गया। फिर उसने यू-टर्न लिया और तब से दोबारा 4800 के स्तर को पूरी तरह तोड़कर कभी नीचे नहीं गया। इसमें मजबूती दिख रही थी जो साधारण इंसान को भी नजर आ रही थी और सीएनआई इस मामले में बराबर दुरुस्त थी। फिर भी अधिकांश निवेशकों ने उन मूर्खों पर यकीन किया और निफ्टी के 3800 पर जाने के डर में सब कुछ बेच डाला। हुआ क्या? निफ्टी 5090 पर है जो अब तक के शिखर से महज 200 अंक दूर है।
ग्रीस की समस्या सुलझ चुकी है। मात्र शॉर्ट कवरिंग के दम पर अमेरिकी बाजार मौजूदा स्थिति से 5-10 फीसदी उठ सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था के मूलाधार मजबूत हैं। अग्रिम टैक्स का संग्रह अच्छा रहेगा और बाजार अब साल की चौथी तिमाही के नतीजों की बातें करेगा। इसलिए गति ऊपर की रहेगी। वित्त वर्ष 2010-11 में कॉरपोरेट क्षेत्र की आय की संभावनाओं को देखते हुए सेंसेक्स के 26000 तक चले जाने का अनुमान है। अभी तो यह 17000 पर है। जाहिर है गुंजाइश बहुत है।
भारत के बारे में जबदस्त आशावादी नजरिया रखनेवाले कुछ सर्वश्रेष्ठ रिसर्च संस्थान भी बजट के पहले शॉर्ट सेल में फंस गए। उन्हें ये सौदे 4950 पर पूरे करने पड़े। आज उन्होंने फिर 5060 पर शॉर्ट सेल की है। इसलिए निवेशकों को बाजार के उठने पर चौकन्ना रहना चाहिए। या तो वे 5200 पर सौदे काटेंगे या 4950 के नीचे ताजा बिक्री करेंगे। इसे ध्यान में रखना होगा। हो सकता है कि यह गलती बाजार के नंबर एक खिलाड़ी ने की हो। एक और बड़ा हाउस इंडिया बुल्स रियल्टी और फाइनेंस में शॉर्ट कर फंदे में फंसा है तो एक अन्य हाउस एसीसी में बड़े पैमाने पर शॉर्ट किए पड़ा है। कौन-कौन शॉर्ट है, इसका पता आप आसानी से लगा सकते हैं, बशर्ते अपने दिमाग पर थोड़ा जोर लगाएं।
इंसान अपने सोचने का ढर्रा बदल ले तो वह अपनी बाहरी दुनिया बदल सकता है।
(चमत्कार चक्री एक काल्पनिक नाम है। इस कॉलम को लिखनेवाला खुद को अनाम रखना चाहता है। हालांकि वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है लेकिन फालतू के वैधानिक लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। अंदर की बात बताना और सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)