रिलायंस नेचुरल रिसोर्सेज (आरएनआरएल) के चेयरमैन अनिल अंबानी ने कहा कि वे रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के साथ गैस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं और इस पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की कंपनी की कोई योजना नहीं है। दोपहर करीब ढाई बजे उन्होंने एक कॉन्फ्रेंस कॉल में अपना लिखित बयान पढ़कर सुनाया। उन्होंने कहा – हम समझते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने गैस सप्लाई करार पर दिशानिर्देश देकर आरएनआरएल के 25 लाख से ज्यादा शेयरधारकों के हितों की हिफाजत की है।
अपने संक्षिप्त बयान में अनिल अंबानी ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप छह हफ्ते के भीतर आरआईएल के साथ सफल वार्ता हो जाने की अपेक्षा करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे अपने समूह (एडीएजी) के करीब 110 लाख शेयरधारकों और 1.50 लाख कर्मचारियों के हितों का ख्याल रखेंगे। रिलायंस पावर 8000 मेगावॉट की (क्लीन ग्रीन पावर) बिजली प्रदूषण मुक्त स्रोतों से बनाएगी, जिसमें प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल किया जाएगा।
लेकिन आरडीए समूह के बिजली परियोजनाओं के लिए प्राकृतिक गैस कहां से, कितनी और कितने दाम पर मिल पाएगी, यह पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने सवालिया निशान लगा दिया है। इस बीच मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज की तरफ से कहा गया है कि अगर सरकार आरएनआरएल को प्राकृतिस गैस आवंटित करती है तो कंपनी अपने कृष्णा-गोदावरी बेसिन के डी-6 ब्लॉक से उसे 4.20 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू (मिलियन मीट्रिक ब्रिटिश थर्मल यूनिट) की दर से गैस देने को तैयार है। लेकिन असली विवाद की जड़ तो यह भाव ही है। आरएनआरएल के साथ पुराने करार में यह दर 2.84 डॉलर प्रति एमबीटीयू है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद दिल्ली में आरआईएल के वकील समीर पारेख ने कहा कि कंपनी गैस के मूल्य पर सरकार की नीति को स्वीकार करती है। सरकार जो भी मूल्य तय करेगी, केजी बेसिन से उसी मूल्य पर ग्राहकों को गैस दी जाएगी।
इस बीच सरकारी बिजली कंपनी एनटीपीसी से जुड़े ऊर्जा मंत्रालय का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले का एनटीपीसी-आरआईएल विवाद से कोई लेना-देना नहीं है। खुद ऊर्जा मंत्री खुशील कुमार शिंदे के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को उचित बताते हुए यह बात कही।