देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक) ने सस्ते या टीजर होम लोन की स्कीम 30 अप्रैल 2010 तक बढा दी है। पहले यह स्कीम 31 मार्च 2010 को खत्म होनी थी। इस स्कीम के तहत होम लोन लेनेवाले को पहले साल केवल 8 फीसदी सालाना की दर से ब्याज देना होता है। अभी तक दूसरे व तीसरे साल ब्याज की दर 8.5 फीसदी रखी गई है। लेकिन 1 अप्रैल या उसके बाद होम लोन लेनेवालों से बैंक इस अवधि के लिए 9 फीसदी ब्याज लेगा।
एसबीआई के इस कदम के बाद दूसरे सरकारी व निजी बैंक भी स्कीम की मीयाद बढ़ा सकते हैं। पहले भी एसबीआई के नक्शे-कदम पर प्रतिस्पर्धा के चलते सरकारी ही नहीं, निजी बैंकों और सबसे बड़ी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी एचडीएफसी को भी चलना पड़ा था। एसबीआई का यह कदम चौंकानेवाला है क्योंकि हाल ही में रिजर्व बैंक की डिप्टी गवर्नर ऊषा थोराट ने टीजर लोन के इस सिलसिले की आलोचना की थी। कारण, यह बैंकों की बैलेंस शीट पर बुरा असर डाल सकता है। दूसरे, तीन साल के बाद बैंक ग्राहकों से उस समय की फ्लोटिंग दरों के हिसाब से ब्याज लेंगे जो ग्राहकों पर काफी बोझ डाल सकती हैं। ऐसे में हो सकता है कि तमाम ग्राहक डिफॉल्ट कर जाएं। सस्ते होम लोन के चक्कर में ही अमेरिका में सब-प्राइम संकट पैदा हुआ था जो बाद में वैश्विक वित्तीय संकट में तब्दील हो गया।
लेकिन बैंकों के सामने दिक्कत यह है कि उनके पास तरलता या लिक्विडिटी (नकदी या चल निधि) अब भी पर्याप्त मात्रा में है। ऐसे में वे ज्यादा से ज्यादा कर्ज बांटना चाहते हैं। होम लोन देना उनके लिए काफी आसान होता है और कॉरपोरेट या कृषि ऋणों की तरह इनकी वसूली भी मुश्किल नहीं होती। ऊपर से जब देश का सबसे बड़ा महाजन कोई राह पकड़ता है तो दूसरों को होड़ में टिके रहने के लिए उसकी राह पर चलना ही पड़ता है। वैसे भी अपने यहां संस्कृत की एक कहावत है – महाजनो येन गतो, स: पंथा…