रिजर्व बैंक सिस्टम से निकालेगा 36,000 करोड़ रुपए

इस साल अभी तक स्थिति यह रही है कि बैंक हर दिन औसतन 1.09 लाख करोड़ रुपए रिजर्व बैंक के पास रिवर्स रेपो की सुविधा के तहत जमा कराते रहे हैं जिस पर उन्हें महज 3.25 फीसदी सालाना की दर से ब्याज मिलता है। बैंकिंग सिस्टम में इस राशि को अतिरिक्त तरलता माना जाता है। यह वह राशि है जो आम लोगों से लेकर औद्योगिक क्षेत्र को उधार देने और विभिन्न माध्यमों में निवेश करने के बाद बैंकों के पास बची रहती है। लेकिन रिजर्व बैंक ने इस तरलता में से करीब 36,000 करोड़ रुपए निकाल लेने का फैसला किया है। आज घोषित मौद्रिक नीति की तीसरी त्रैमासिक समीक्षा में सीआरआर (नकद आरक्षित अनुपात) में 0.75 फीसदी वृद्धि करने का फैसला किया है। सीआरआर पहले चरण में 13 फरवरी को शुरू हो रहे पखवाड़े से 0.50 फीसदी की वृद्धि के बाद 5.50 फीसदी और दूसरे चरण में 27 फरवरी से शुरू हो रहे पखवाड़े से अतिरिक्त 0.25 फीसदी वृद्धि के साथ 5.75 फीसदी हो जाएगा।

सीआरआर में 0.75 फीसदी की अप्रत्याशित वृद्धि ने वित्तीय जगत को चौंका दिया है। इंडसइंड बैंक के प्रबंध निदेशक व सीईओ रोमेश सोबती का कहना है कि उम्मीद थी कि सीआरआर को 0.50 फीसदी बढ़ाकर रिजर्व बैंक सिस्टम से 25,000 करोड़ रुपए की तरलता खींच लेगा। लेकिन 0.75 फीसदी वृद्धि के जरिए सिस्टम से 36,000 करोड़ रुपए खींचकर रिजर्व बैंक ने सबको चौंका दिया है। वैसे, जिस तरह अब भी सिस्टम में हर दिन 70,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की अतिरिक्त तरलता है जो बैंकों द्वारा रिवर्स रेपो के तहत जमा कराई गई राशि से जाहिर होती है, उसे देखते हुए यह कोई बुरा फैसला नहीं है। वैसे, शुक्रवार को बैंकों ने रिवर्स रेपो में केवल 36,860 करोड़ रुपए ही जमा कराए है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉ. डी सुब्बाराव ने मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही की समीक्षा पेश करने के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एक तरफ अर्थव्यवस्था में जारी सुधार को आंच नहीं आने देनी थी। दूसरी तरफ बढ़ती मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाना था। रिजर्व बैंक के सामने आर्थिक विकास पर चोट किए बगैर मुद्रास्फीति को सीमित करने की चुनौती थी। इसी के मद्देनजर हमने सीआरआर में 0.75 फीसदी वृद्धि का फैसला किया है, जबकि रेपो और रिवर्स रेपो से लेकर बैंक दर को जस का तस रखा गया है।

उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति में ढील देने के बाद उसे कड़ा करना काफी जटिल और कठिन काम है। उन्होंने इस संदर्भ में महाभारत का जिक्र करते हुए कहा कि चक्रव्यूह में घुसना तो आसान होता है, लेकिन उससे निकल पाना काफी कठिन होता है। रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति को ससने का सिलसिला अक्टूबर अंत में संवैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) को 24 से बढ़ाकर 25 फीसदी करने से शुरू किया था। अब सीआरआर में तीन चौथाई फीसदी वृद्धि के साथ इसे आगे बढ़ाया गया है।

मुद्रास्फीति की बढ़ती रफ्तार के मद्देनजर रिजर्व बैंक ने मार्च 2010 के अंत में थोक मूल्य पर आधारित मुद्रास्फीति का अनुमान अब 8.5 फीसदी कर दिया है। अक्टूबर में इसके 6.5 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया गया था। सुब्बाराव ने बताया कि रिजर्व बैंक ने केंद्र सरकार को भी संकेत दे दिया है कि उसे अब राजकोषीय राहत के उपायों को पस लेने का क्रम शुरू देना चाहिए। हम अब राजकोषीय प्रोत्साहन पर उतने निर्भर नहीं है, जितने छह महीने पहले थे। इसलिए केंद्र सरकार को अब राजकोषीय सुदृढीकरण का काम शुरू कर देना चहिए।

रिजर्व बैंक गवर्नर सुब्बाराव ने कहा कि सीआरआर में बढ़ोतरी से अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों को संसाधनों की कोई कमी नहीं होगी। रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समीक्षा में मौजूदा हकीकत को देखते हुए इस साल के लिए बैंकों की जमा में वृद्धि का अनुमान दूसरी तिमाही की मौद्रिक समीक्षा के 18 फीसदी से घटाकर 17 फीसदी कर दिया है, जबकि बैंकों के गैर-खाद्य ऋण में वृद्धि का अनुमान 18 फीसदी से घटाकर अब 16 फीसदी कर दिया गया है। सुब्बाराव के मुताबिक कॉरपोरेट क्षेत्र से जब भी मांग बढ़ेगी, उसे बैंकों से ऋण मिलेंगे क्योंकि अब तक इस साल के लिए निर्धारित 98 फीसदी सरकारी उधारी जुटाई जा चुकी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *