सुपर किंग बनी इंडिया सीमेंट्स

आईपीएल में फ्रेंचाइची के मालिकाने के स्वरूप पर उठे विवाद के बीच जो चंद कंपनियां एकदम पाक-साफ निकली हैं, उनमें से एक है चेन्नई सुपरकिंग्स की मालिक इंडिया सीमेंट्स। बॉलीवुड के किसी भी सितारे की चमक के बिना चेन्नई सुपर किंग्स ने आईपीएल-3 में अपनी विजय की पताका लहरा दी है। मुंबई इंडियंस पर इन शानदार जीत का असर बहुत संभव है कि आज इंडिया सीमेंट के शेयरों पर भी नजर आए। शुक्रवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में इसका शेयर 2.70 फीसदी की गिरावट के साथ 134.90 पर बंद हुआ था। पिछले 52 हफ्ते का इसका उच्चतम भाव 180 रुपए (10 जून 2009) और न्यूनतम भाव 97.10 (3 नवंबर 2009) को रहा है।

माना जा रहा है कि आईपीएल में जीत की खुशी से बने माहौल में यह शेयर जल्दी ही नया शिखर बना सकता है। बता दें कि इंडिया सीमेंट्स ने 2008 चेन्नई सुपर किंग्स की फ्रेंचाइजी महज 9.10 करोड़ डॉलर में हासिल की थी और यह मालिकाना उसके पास दस सालों यानी 2018 तक के लिए है। पुणे और कोच्चि की आईपीएल टीमों की फ्रेंचाइजी 33-35 करोड़ डॉलर में बिकी है। जाहिर है इससे इंडिया सीमेंट के इस हिस्से का मूल्यांकन तीन गुने से ज्यादा हो गया है। इंडिया सीमेंट के वाइस चेयरमैन व प्रबंध निदेशक एन श्रीनिवासन ही चेन्नई सुपरकिंग्स की बागडोर संभालते हैं। जिस लो प्रोफाइल अंदाज में इस टीम ने जीत की मंजिल हासिल की है उससे श्रीनिवासन की प्रबंधन शैली का भी अंदाजा लगाया जा सकता है। बता दें कि चेन्नई सुपर किंग्स अभी तक के तीनों आईपीएल में सेमी फाइनल तक जरूर पहुंची है।

आगे अगर आईपीएल टीम का मूल्यांकन बढ़ता है तो इससे हर हाल में इंडिया सीमेंट को फायदा मिलेगा। जानकारों का मानना है कि अगले दो-तीन सालों में आईपीएल टीम के मूल्यांकन के दम पर इंडिया सीमेंट का शेयर 450 रुपए तक जा सकता है। अभी फिलहाल अगले कुछ महीनों में तो इसमें 100 रुपए के बढ़त की पूरी संभावना है।

कंपनी का सीमेंट का मूल बिजनेस भी काफी तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि सीमेंट के दाम बढ़ते जा रहे हैं। वह अपनी सीमेंट उत्पादन क्षमता में 40 लाख टन का इजाफा भी कर रही है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2010 के अंत तक कंपनी की इक्विटी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 25.18 फीसदी है, जबकि विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की हिस्सेदारी 27.70 फीसदी है। यानी एफआईआई ने प्रवर्तकों से ज्यादा भरोसा कंपनी के भविष्य पर लगा रखा है। कंपनी की प्रति शेयर कमाई (ईपीएस) 2008-09 में 15.32 रुपए है।

इस आधार पर उसके शेयर का भाव ईपीएस से 9 गुने से कम है। जाहिर है, मौजूदा दाम और भावी संभावनाओं के आधार पर इस शेयर में खरीद तो बनती ही है। लेकिन एक बात याद रखें कि शेयर बाजार में लंबे समय, मतलब कम से कम दो से पांच साल का निवेश ही फलता है। यही बात इंडिया सीमेंट पर भी लागू होती है। कंपनी 2009-10 के नतीजे 30 अप्रैल 2010 को घोषित करेगी।

1 Comment

  1. it is perfecat advice that the invesment should be for two years

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