डायबिटीज के मरीजों की संख्या में तीव्र वृद्धि के बीच दुनिया भर की कंपनियां इसके इलाज और इसकी रोकथाम के लिए नई दवाओं के विकास पर जोर दे रही हैं। दो साल के भीतर नई विकसित की जा रही दवाओं की संख्या करीब ढाई गुना हो गई है।
अमेरिका की अग्रणी दवा अनुसंधान और जैव प्रौद्योगिकी कंपनियों के संघ, फार्मास्यूटिकल रिसर्च एंड मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन (पीएचआरएमए) के मुताबिक 2010 में उसकी सदस्य कंपनियों द्वारा डायबिटीज या मधुमेह की करीब 230 दवाओं का विकास किया जा रहा है जो कि 2008 के 95 के मुकाबले काफी ज्यादा है।
पीएचआरएमए इंटरनेशनल एलायंस डेवलपमेंट के उपाध्यक्ष क्रिस्टोफर वार्ड ने समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट को ई-मेल के जरिये दिए इंटरव्यू में कहा ‘‘जैसे-जैसे वैश्विक स्तर पर इसका प्रसार हो रहा है, वैश्विक दवा उद्योग इसके इलाज, रोक और इसकी वजह से होने वाली अन्य बीमारियों के लिए नई और बेहतर दवाओं के विकास पर अधिक से अधिक निवेश कर रहा है।’’ एबोट, ब्रिस्टल-मायर्स जैसी दवा कंपनियां पीएचआरएमए की सदस्य हैं।
बता दें कि बिल व मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के एक ताजा अध्ययन के मुताबिक दुनिया भर में डायबिटीज के मरीजों की संख्या अचानक छलांग लगाकर 34.70 करोड़ रुपए पहुंच गई है। भारत तो खानपान की आदत और कम व्यायाम के चलन के कारण डायबिटीज की राजधानी बनता जा रहा है।