श्रम के बिना तो पूंजी है ठनठन गोपाल!

पूंजी अगर श्रम को नियोजित न करे तो वह महज उपभोग का धन बनकर रह जाती है। मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी की शादी में जो ₹5000 करोड़ खर्च हुए, वो अगर पूंजी के रूप में निवेश किए जाते तो समाज व अर्थव्यवस्था में मूल्य जोड़ते। लेकिन वो पूंजी महज भोग-विलास और दिखावे में स्वाहा हो गई। उस दौरान एकाध हज़ार लोगों को चार-पांच दिन का काम मिला होगा, लेकिन रोज़गार नहीं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पांच साल पहले सितंबर 2019 में टैक्स रियायत देकर कॉरपोरेट क्षेत्र को ₹1.45 लाख करोड़ रुपए का तोहफा दिया था। लेकिन कॉरपोरेट क्षेत्र ने उसका इस्तेमाल अपना मुनाफा बढ़ाने में किया, न कि निवश करने में। उद्योग संगठन फिक्की ने हाल ही में सरकार के लिए एक रिपोर्ट तैयार की है। इसके मुताबिक 2019 से 2023 तक के चार साल में कॉरपोरेट क्षेत्र का मुनाफा चार गुना हो गया। लेकिन इस दौरान उसने अपने कर्मचारियों का वेतन मात्र 0.8% से 5.4% की सालाना चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ाया। सबसे ज्यादा वेतन-वृद्धि एफएमसीजी क्षेत्र में हुई है, जिसकी हालत खुद बहुत खराब है। सवाल उठता है कि जब अर्थव्यवस्था या जीडीपी में 60% योगदान करनेवाली निजी खपत ठंडी पड़ी है तो कोई पूंजी निवेश आखिर करेगा क्यों? अब सोमवार का व्योम…

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