सरकार में बैठे लोग साफ जानते है कि किसे लूटना और किसे छोड़ना है। हालांकि वे व्यापक अवाम के वोटों से चुनकर ही सरकार में आ सकते हैं तो खुद को हमेशा जनता का सबसे बड़ा हितैषी दिखाते रहते हैं। कितनी विचित्र बात है कि देश और जनता की बात करनेवाली मोदी सरकार सबसे ज्यादा धन देश की संस्थाओं और टैक्स जनता से वसूल रही है। रिजर्व बैंक ने 2017-18 से 2022-23 तक के छह साल में केंद्र सरकार को अपने खजाने से करीब ₹5 लाख करोड़ ट्रांसफर किए थे। वहीं, बीते वित्त वर्ष 2023-24 में वो ₹2.11 लाख करोड़ का रिकॉर्ड लाभांश सरकार को देने जा रहा है। इस खबर के बाद शेयर बाजार कल उछल गया। लेकिन कब तक? सरकार एक तरफ कॉरपोरेट क्षेत्र का ₹1.45 लाख करोड़ का टैक्स छोड़ देती है। दूसरी तरफ आम लोगों ने पेट्रोल-डीजल की ड्यूटी से पिछले दस साल में ₹34 लाख करोड़ वसूली लेती है। जीएसटी से अप्रैल 2024 में सरकार को रिकॉर्ड ₹2.10 लाख करोड़ मिले हैं। यह सारे का सारा टैक्स आम लोग देते हैं क्योंकि निर्माता से लेकर व्यापारी तक दिया गया जीएसटी रिफंड पा जाते हैं। वर्ल्ड इनिक्वलिटी लैब ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारत के 167 अमीरतम परिवारों पर 2% भी सुपर-टैक्स लगा दिया जाए तो सरकार को राष्ट्रीय आय का 0.5% (₹1.28 लाख करोड़) राजस्व मिल सकता है। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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