हलवाई खुद अपनी मिठाई नहीं खाता। वो ग्राहकों को मिठाई बेचकर कमाता है। लॉटरी का खेल रचानेवाला खुद लॉटरी के टिकट नहीं खरीदता। वह लोगों के लॉटरी खेलने पर ही अपना धंधा करता है। इसी तरह शेयर बाज़ार के कर्ता-धर्ता, बीएसई व एनएसई के सीईओ और अन्य बड़े अधिकारी खुद कभी ट्रेड या निवेश नहीं करते। वे केवल मैनेज करते हैं। दूसरे लोग ट्रेड और निवेश करते हैं, तभी उनका धंधा चमकता है। सरकार उन्हीं के जरिए शेयर बाज़ार में होनेवाले हर सौदे पर आम निवेशकों व ट्रेडरों से टैक्स कमाती है। चाहे सरकार हो या स्टॉक एक्सचेंज, उनका हित इसी में है कि लोग ज्यादा से ज्यादा ट्रेड करें। लालच व डर से लबालब भरकर शेयर बाज़ार में उतरते और वहां से भागते रहें। लेकिन सरकार व पूंजी नियामक संस्था सेबी से साथ ही स्टॉक एक्सचेजों को नैतिक होने का टंटा भी करना है तो निवेशक शिक्षा का अनुष्ठान भी करते रहते हैं। लोग वित्तीय रूप से साक्षर हो रहे हैं या नहीं, इससे उन्हें कोई मतलब नहीं। खुद का एक धेला खर्च नहीं होना, क्योंकि निवेशकों के छोड़े गए लाभांश वगैरह से उन्होंने एक प्राधिकरण बना दिया है जिसका नाम है विनिधानकर्ता शिक्षा और संरक्षण निधि प्राधिकरण या आईईपीएफए। अब मंगलवार की दृष्टि…
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