देश में कॉरपोरेट क्षेत्र का पूंजी निवेश अभी तक ठंडा पड़ा हुआ है। रिजर्व बैंक के मुताबिक निजी उद्योगों में क्षमता इस्तेमाल का स्तर 73.6% पर अटका हुआ है। कॉरपोरेट क्षेत्र ने सितंबर तक पिछले साल से कम 8.26 लाख करोड़ रुपए के नए निवेश की घोषणा की है। इसमें से भी 4.74 लाख करोड़ रुपए ट्रांसपोर्ट सेक्टर से आए हैं। जाहिर है कि निजी निवेश बहुत सतर्क व चौकन्ना है। केवल सरकारी पूंजी निवेश के बल पर जीडीपी बढ़ाया जा रहा है। सितंबर तिमाही में केंद्र और 26 राज्य सरकारों का पूंजी खर्च साल भर पहले के मुकाबले 26.7% बढ़ा है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान सरकारी निवेश को दर्शानेवाला सरकारी स्थाई पूंजी निर्माण (जीएफसीएफ) 11.04% बढ़ा है, जबकि जून तिमाही में यह 7.99% बढ़ा था। वहीं, सरकारी अंतिम खपत व्यय (जीएफसीई) 12.35% बढ़ा है, जबकि पिछली तिमाही में 0.72 घटा था। इस बार सरकार ने खर्च इसलिए बढ़ाया क्योंकि पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के पहले माहौल बनाना था। असल में सरकारी खर्च का पूरा तंत्र है जिसमें मंत्री से लेकर सांसदों व विधायकों का कम से कम 10% कट और ठेकेदारों की कमाई शामिल है। इससे इतर अन्य निवेश ठंडे पड़े हैं। अब मंगलवार की दृष्टि…
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