क्या कहता सेंसेक्स का सेक्स और सच!

सर्दी उतर रही है। लेकिन कोहासा व धुंधलका बढ़ता ही जा रहा है। कहीं कुछ साफ नहीं दिख रहा। जिन बैंकिंग व आईटी कंपनियों में उछाल की बदौलत सेंसेक्स और निफ्टी नए ऐतिहासिक शिखर पर पहुंच गए, इन सूचकाकों में शामिल कंपनियों की सालाना रिपोर्ट ही बताती है कि 83% यौन उत्पीड़न के मामले उन्हीं के खिलाफ हैं। क्या शेयर बाज़ार का निवेशक व ट्रेडर इतना संवेदनहीन है कि मुनाफे के चक्कर में ऐसे अनैतिक आचरण को बरदाश्त कर लेगा? सरकार की तरफ से चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पहला अग्रिम अनुमान आ गया कि इस बार हमारा जीडीपी 6.5% के पिछले अनुमान से कहीं ज्यादा 7.3% की दर से बढ़ेगा। लेकिन इसी अनुमान ने यह भी बताया कि सारी चमक सरकारी खर्च और निवेश की बदौलत है। अन्यथा, जनता की मांग को दिखानेवाला निजी अंतिम खपत व्यय (पीएफसीई) मात्र 4.4% बढ़ने का अनुमान है, जो कोरोना काल के वित्त वर्ष 2020-21 को छोड़ दें तो दो दशकों की सबसे धीमी दर है। इससे धीमी दर वित्त वर्ष 2002-03 में 2.9% की रही थी। बीते वित्त वर्ष 2022-23 में निजी खपत 7.5% बढ़ी थी। आखिर अवाम की बदहाली, सरकार के ज्यादा खर्च से बढ़े जीडीपी और चढ़ते शेयर सूचकांक का संदेश क्या है? अब सोमवार का व्योम…

यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं। इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...

Existing Users Log In
   
New User Registration
Please indicate that you agree to the Terms of Service *
captcha
*Required field