चालू वित्त वर्ष 2024-25 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.5% लेकर 7% की दर से बढ़ सकती है और वो दुनिया की सबसे तेज़ गति से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बनी रहेगी। लेकिन इसके पीछे का मुख्य कारक भारत की आबादी और बाज़ार का काफी बड़ा होना है। माकूल नीतियों और आंतरिक ताकत की बात करें तो सारी शान-पट्टी के बावजूद भारत की प्रति व्यक्ति आय जी-20 के देशों में सबसे कम है। विश्व बैंक के मुताबिक भारत की प्रति व्यक्ति इस समय 2411 डॉलर है, जबकि अमेरिका की प्रति व्यक्ति आय 76,330 डॉलर, जर्मनी की 48,718 डॉलर, ब्रिटेन की 46,125 डॉलर, रूस की 15,271 डॉलर और चीन की प्रति व्यक्ति आय 12,720 डॉलर है। यहां तक कि ब्राज़ील की प्रति व्यक्ति आय 8918 डॉलर और दक्षिण अफ्रीका की 6767 डॉलर है। आखिर दक्षिण अफ्रीका की भी एक-तिहाई प्रति व्यक्ति आय लेकर कैसे हम दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने पर गुमान कर सकते हैं? बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर! ऊपर से रोज़गार का भयंकर संकट। मोदीराज के दस साल में रोज़गार नहीं बढ़े, जबकि पहले से बड़ी युवा आबादी लगातार बढ़ती जा रही है। एक दशक के रोज़गार-विहीन विकास ने भारत की श्रम शक्ति भागीदारी दर को हांगकांग, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया व ताइवान तक से काफी नीचे पहुंचा दिया है। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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