साहब जी! आफत बिना पूछे आ गई तो…

मान लीजिए कि आप डॉक्टर, इंजीनियर या वकील जैसे प्रोफेशनल हैं और आप किसी घनी बस्ती में रहते हैं। एक दिन आंधी-तूफान आता है और आपका एअर-कूलर या एसी का बॉक्स आपके पड़ोसी की कार पर गिरकर उसे क्षतिग्रस्त कर देता है। आपका पड़ोसी अंकड़ू हुआ तो आपसे झगड़ा करेगा और भी ज्यादा गुस्से वाला हुआ तो हरजाने के लिए आपको कोर्ट में घसीटने की सोचेगा। यह एक आकस्मिक हादसा है जिसके लिए आप जिम्मेदार नहीं हैं फिर भी आप कोर्ट-कचहरी व हरजाने के चक्कर में आ जाते हैं।

सेटलमेंट के लिए: ऐसी स्थिति में सेटलमेंट के लिए आप या तो कहीं से कर्ज लेंगे या फिर अपनी बचत की राशि अथवा निवेश की रकम को लिक्विडेट करेंगे। लेकिन एक और रास्ता भी है जो कि काफी सरल व आसान होने के साथ आपकी जेब पर कम बोझ भी डालता है।

बचाव का उपाय: अगर आपको ऐसे हालात से आर्थिक सुरक्षा कवच चाहिए तो पर्सनल लायबिलिटी इंश्योरेंस पॉलिसी आपके लिए ही है। यह आपको ऐसी असामयिक मुसीबतों से आर्थिक सुरक्षा देती है जिन पर आपका वश नहीं चलता। बीमा कंपनी की ओर से हरजाने की राशि का भुगतान किया जाएगा।

स्वतंत्र प्रोफेशनल्स को जरूरी: आप डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, आर्किटेक्ट,सीए, कारोबारी या होटल मालिक जैसे कारोबारी हैं। अगर आप इस हैसियत से किसी कंपनी में काम कर रहे हैं तब चिंता की कोई बात नहीं क्योंकि अधिकांश कंपनियां अपने कर्मचारियों की ओर से पर्सनल लायबिलिटी इंश्योरेंस पॉलिसी लेती हैं। लेकिन अगर आप स्वतंत्र प्रोफेशनल हैं तो यह आपके लिए आवश्यक भी है।

हरजाने का भुगतान: आप वकील हैं और आपका क्लाएंट यह समझकर कि उसे यथोचित सेवा नहीं दी गई तो भरपाई के लिए कोर्ट जा सकता है। डॉक्टर को असंतुष्ट मरीज या उसके परिजन सेवा में कमी की दोषी मान कर अदालत में घसीट सकते हैं। तब पर्सनल लायबिलिटी इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत अदालत द्वारा तय हरजाने का भुगतान किया जाएगा।

क्या है पर्सनल लायबिलिटी पॉलिसी: उपरोक्त हालात में अदालत में यदि आपके पड़ोसी, मरीज या क्लाएट द्वारा क्षतिपूर्ति की मांग की जाती है तो इस पॉलिसी के तहत मूल रूप से थर्ड पार्टी को क्षतिपूर्ति मुहैया कराई जाती है। ध्यान रहे कि बीमा कंपनी कानूनी कार्यवाही की स्थिति में ही भरपाई देती है। इसका मतलब यह है कि यदि पड़ोसी कोर्ट के बाहर सेटलमेंट करना चाहे तो बीमा कंपनी हरजाना नहीं देगी। हरजाने के लिए पड़ोसी पहले मुकदमा दायर करे फिर वह आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट करे।

हाउसहोल्डर्स पैकेज/ट्रैवल इंश्योरेंस के साथ: आमतौर पर पर्सनल लायबिलिटी इंश्योरेंस पॉलिसी हाउसहोल्डर्स पैकेज पॉलिसी या ट्रैवल इंश्योरेंस के साथ आती है। भारत में प्रोफेशन संबंधी मुकदमेबाजी कम ही होती है लिहाजा पर्सनल लायबिलिटी इंश्योरेंस पॉलिसी ज्यादा लोकप्रिय नहीं है। यह हाउसहोल्डर्स पॉलिसी के साथ ही मिलती है।

सम एश्योर्ड चुनें: बीमा सलाहकार राजू कुमार का कहना है कि यदि पर्सनल लायबिलिटी इंश्योरेंस पॉलिसी हाउसहोल्डर्स पैकेज पॉलिसी के तहत है तो इसका सम एश्योर्ड 10 लाख रूपए तक होता है। जितना सम एश्योर्ड आप चुनते हैं, बीमा कंपनी उसकी भरपाई देती है। पर कुछ प्लान में घर के भीतर की दुघर्टनाओं की सीमा है। अगर आपराधिक इच्छा के तहत या जानबूझकर कुछ गलत किया जाता है तो उसके लिए बीमा कवर नहीं होता है।

प्रीमियम की दर: पर्सनल लायबिलिटी इंश्योरेंस पॉलिसी में सम एश्योर्ड के अनुरूप और प्रोफेशन के रिस्क फैक्टर के आधार पर प्रीमियम तय किया जाता है। यहां पर यह बताना जरूरी है कि पर्सनल लायबिलिटी पॉलिसी (पीएलपी) डिडक्टिबल है यानी क्लेम राशि का एक भाग पॉलिसी-धारक वहन करता है। यह क्लेम की रकम का 0.25 से 0.50 फीसदी तक कुछ भी हो सकता है।

मेाटर थर्ड पार्टी लायबिलिटी इंश्योरेंस: यह बीमा प्लान पर्सनल लायबिलिटी इंश्योरेंस पॉलिसी (पीएलपी) से थोड़ा आगे का रूप है। इसमें बीमित वाहन से आपके जीवन को क्षति या नुकसान को कवर किया जाता है। कार या कोई अन्य वाहन शोरूम से ले जाने के पहले इसे लेना अनिवार्य है। यहां पर ध्यान रहे कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत सडक़ पर चलने वाले सभी वाहनों का मोटर थर्ड पार्टी लायबिलिटी बीमा कवर होना जरूरी है। पीएलपी के तहत इसमें सम एश्योर्ड की ऊपरी सीमा नहीं होती। हरजाना बीमा कंपनी देती है। इसमें थर्ड पार्टी प्रापर्टी डैमेज के लिए अधिकतम लायबिलिटी 7.50 लाख रुपए और न्यूनतम लायबिलिटी 6000 रुपए है।

राजेश विक्रांत (लेखक मुंबई में कार्यरत एक बीमा प्रोफेशनल हैं)

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