कोई देश अमीर तो कोई देश गरीब क्यों होता है? क्या इसकी वजह भौगोलिक या सांस्कृतिक होती है या कुछ दूसरे कारक इसका फैसला करते हैं? इसका जवाब तलाशते तीन अर्थशास्त्रियों जेम्स रॉबिन्सन, डैरन एसमोग्लू और साइमन जॉनसन को इस बार अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। इसकी वजह भौगोलिक या सांस्कृतिक नहीं हो सकती। अन्यथा, भारत 18वीं सदी के मध्य तक अमेरिका से अमीर और हमारा औद्योगिक उत्पादन अमेरिका से ज्यादा नहीं होता। नोबेल पुरस्कार समिति ने अपने साइटेशन में साफ लिखा है, “आर्थिक समृद्धि या इसका न होना मूलतः किसी देश की राजनीतिक संस्थाओं से प्रभावित होता है।” साथ ही तीनों अर्थशास्त्रियों ने अपने शोध में देश की समृद्धि के लिए वहां की सामाजिक संस्थाओं की महत्ता को रेखांकित किया है। उनका कहना है कि कुछ देश ज्यादा समृद्ध अपनी राजनीतिक व आर्थिक संस्थाओं के दम पर होते हैं। भारत के संदर्भ में यह निष्कर्ष बेहद अहम है क्योंकि अगर हम अपनी सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक संस्थाओं को माकूल नहीं बना सके तो साल 2047 में आजादी के सौ साल पूरे होने तक हम देश को विकसित या समृद्ध नहीं बना सकते। सवाल उठता है कि इस समय जिस तरह का झूठ व छल-छद्म हमारी सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक संस्थाओं पर छाया है, उसमें यह लक्ष्य कैसे हासिल हो सकता है? अब सोमवार का व्योम…
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