अमेरिकी सरकार ने भारत-अमेरिका परमाणु करार को लेकर लोकसभा में हुए मतदान के दौरान सामने आए ‘वोट के बदले नोट’ मामले पर विकीलीक्स के खुलासे पर टिप्पणी करने से इनकार किया है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मार्क टोनर ने वॉशिंगटन में संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं नहीं कह सकता कि यह दस्तावेज गोपनीय है अथवा नहीं, लेकिन अगर यह गोपनीय है तो हम इसके बारे में कुछ नहीं बोलेंगे।’’
विकीलीक्स के खुलासे के बाद भारत में जारी हंगामे के संदर्भ में पूछे गए सवाल पर टोनर यह जवाब दिया। इस दस्तावेज में दावा किया गया है कि कांग्रेस नेता सतीश शर्मा ने एक अमेरिकी राजनयिक को बताया था कि करार संबंधी प्रस्ताव के पक्ष में मतदान के लिए सांसदों को खरीदने के लिए करोड़ों रुपए का इंतजाम किया गया है।
टोनर ने कहा, ‘‘जहां तक आप लोग भ्रष्टाचार पर सवाल पूछ रहे हैं तो हमारा कहना है कि अमेरिका विश्व भर की सरकारों में पारदर्शिता का पक्षधर रहा है। इससे राजनीतिक व्यवस्था बेहतर होती है और आप जानते हैं कि इससे आम जनता की मदद भी होती है।’’ उन्होंने कहा कि विभिन्न देशों में जारी भ्रष्टाचार के मुद्दे से निपटने की कोशिश करते हैं लेकिन भारत के संदर्भ में कुछ नहीं बोल सकते।’’
उधर बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने कहा है कि विकीलीक्स के खुलासे ने दिखा दिया है कि अमेरिका भारत की विभिन्न सरकारों पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करता रहा है। जोशी ने शुक्रवार को संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा कि विकीलीक्स खुलासे में ऐसी कई बातें हैं, जिनसे पहले ही पता चल चुका है कि अमेरिकी सरकार ने भारत की विभिन्न सरकारों पर प्रभाव डालने की कोशिश की।
विकिलीक्स में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी का नाम आने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं किसी व्यक्ति की बात नहीं कर रहा हूं। मैं कह रहा हूं कि अमेरिका विभिन्न क्षेत्रों में भारत सरकार पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करता आया है और यह बात सभी को मालूम है।’’