विश्व बाजार में आने वाले महीनों में भी कच्चे तेल के दाम यदि 100 डॉलर प्रति बैरल के ईदगिर्द ही टिके रहते हैं तो सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) की अंडर-रिकवरी या नुकसान अगले वित्त वर्ष में 98,000 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। सार्वजनिक क्षेत्र की तीन प्रमुख ओएमसी हैं – बीपीसीएल, एचपीसीएल और इंडियन ऑयल।
ब्रोकर फर्म इंडिया इनफोलाइन (आईआईएफएल) की एक रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त करते हुए कहा गया है कि फरवरी में कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल की आंकड़े को छूने के बाद यह माना जा रहा था कि तेल कंपनियों की कम वसूली या अंडर रिकवरी चालू वित्त वर्ष में 72,000 करोड रुपए तक पहुंच जाएगी।
इंडिया इनफोलाइन के रिसर्च विशेषज्ञ प्रायेश जैन ने कहा ‘‘यह विचार करते हुए कि यदि कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल के आसपास ही बने रहते हैं और स्थिति में कोई बदलाव नहीं आता तो अगले वित्त वर्ष में पेट्रोलियम पदार्थों की बिक्री करने वाली तेल विपणन कंपनियों की कुल कम वसूली 98,000 करोड रुपए तक पहुंच सकती है।’’ यह आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा दूर नहीं है।
रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल से दिसंबर 2010 की अवधि में जब कच्चे तेल के दाम औसतन 80 डॉलर प्रति बैरल पर चल रहे थे ,तब तेल कंपनियों की कम वसूली 47,000 करोड़ रुपए तक आंकी गई। बहरहाल, चौथी तिमाही में कच्चे तेल के दाम औसतन 101 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर बने हुए हैं। इससे तेल कंपनियों की कम वसूली 25,000 करोड रुपए तक बढने की आशंका है। इसे मिलाकर चालू वित्त वर्ष में इनकी कम वसूली 72,000 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है, लेकिन स्थिति में यदि सुधार नहीं होता है तो अगले वित्त वर्ष में यह एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है।