उम्मीद पर दुनिया कायम है और शेयर बाजार भी। किसी कंपनी ने लाख अच्छा किया हो, लेकिन अगर वो बाजार की उम्मीद पर खरी नहीं उतरी तो उसका शेयर गिर जाता है। नहीं तो क्या वजह है कि टीवीएस मोटर कंपनी का शुद्ध लाभ मार्च तिमाही में साल भर पहले की तुलना में दोगुना हो गया। पहले 20.29 करोड़ रुपए था। अब 105.42 फीसदी बढ़कर 41.68 करोड़ रुपए हो गया। फिर भी शुक्रवार 29 अप्रैल को नतीजों की घोषणा के बाद उसका शेयर करीब 6 फीसदी की डुबकी लगा गया। बंद हुआ 56.35 रुपए पर। कल, 2 मई को मामूली बढ़त के साथ बीएसई (कोड – 532343) में 56.45 रुपए और एनएसई (TVSMOTOR) में 56.50 रुपए पर बंद हुआ है।
कंपनी अच्छी है। प्रबंधन अच्छा है। हर कोई जानता है। इसे आगे बढ़ना ही है। लेकिन क्या इसके शेयर अभी सस्ते हैं? असल में किसी मजबूत कंपनी का शेयर सस्ते में मिल रहा हो तो उसमें किया गया निवेश सुरक्षित और अच्छा रिटर्न देता है। वह चाहे छोटी अवधि में और गिर जाए, लेकिन लंबी अवधि में निश्चित रूप से फायदा देता है। ताजा नतीजों के अनुसार वित्त वर्ष 2010-11 में टीवीएस मोटर का वास्तविक ईपीएस 4.05 रुपए है, जबकि चालू वित्त वर्ष 2011-12 का अनुमानित ईपीएस 5.25 रुपए है।
इस तरह वर्तमान स्थिति के आधार उसका शेयर करीब 14 और भावी अनुमान के आधार पर 11 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। जब सेंसेक्स का पी/ई अनुपात 20.36 हो तब 14 के पी/ई को सस्ता ही माना जाएगा। बजाज ऑटो अभी 16.65 और हीरो होंडा 16.15 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। साफ है कि टीवीएस मोटर में फिलहाल बढ़त की पूरी गुंजाइश है। पिछले 52 हफ्तों में यह ऊपर में 87.45 रुपए (25 नवंबर 2010) और नीचे में 43.70 रुपए (9 फरवरी 2011) तक गया है। बीएसई-500 सूचकांक में शांमिल शेयर है तो इस पर कोई सर्किट सीमा नहीं है।
टीवीएस मोटर देश में हीरो होंडा व बजाज ऑटो के बाद तीसरी सबसे बड़ी टू-व्हीलर कंपनी है। लेकिन स्कूटर व मोटरसाइकिल के साथ थ्री-व्हीलर भी बनाती है। मोपेड उसका सबसे पुराना उत्पाद है। 2010-11 में उसके स्कूटरों की बिक्री 54 फीसदी, मोटरसाइकिल की बिक्री 20 फीसदी, थ्री-व्हीलर की बिक्री 92 फीसदी और मोपेड की बिक्री 20 फीसदी बढ़ी है। कंपनी ने 20 लाख गाड़ियां बेचने का लक्ष्य भी पूरा कर लिया है। उसने पिछली चार से छह तिमाहियों से विकास की रफ्तार बरकरार रखी है। फिर भी क्यों बाजार ने उसे नजरों से गिरा दिया?
असल में बाजार उससे 54-55 करोड़ रुपए के शुद्ध लाभ की उम्मीद कर रहा था। वास्तविक लाभ इससे 30 फीसदी नीचे रहा तो भाई लोगों ने इसे पीट डाला। दूसरे मेटल वगैरह के दाम बढ़ने से मार्च 2011 की तिमाही में कंपनी को कच्चे माल पर 1182.48 करोड़ खर्च करने पड़े, जबकि मार्च 2010 की तिमाही में यह खर्च 804.29 करोड़ रुपए ही था। लेकिन कंपनी ने बाकी सब मोर्चों पर खुद को संभाले रखा है। यहां तक कि उसे इस बार ब्याज के रूप में 5.66 करोड़ ही देने पड़े हैं, जबकि पहले 12.29 करोड़ देने पड़े थे।
बाजार को यह भी खटका कि कंपनी ने हिमाचल प्रदेश के नए संयंत्र के लिए करीब 9 करोड़ रुपए के प्राकृतिक आपदा शुल्क का प्रावधान किया है, जबकि हिमाचल में उसे टैक्स-छूट मिली हुई है। हालांकि राज्य की कंपनियां इस प्राकृतिक आपदा शुल्क का विरोध कर रही है। लेकिन बादल फटने और भूकंप के शिकार होनेवाले हिमाचल प्रदेश को पूरा हक बनता है कि वह राज्य से मुनाफा कमानेवाली कंपनियों से इस तरह का शुल्क वसूले। इसलिए बाजार को इस शुल्क पर नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दिखानी चाहिए थी। लेकिन बाजार कभी-कभी अंधों की तरह बरताव करता है। जैसे, 29 अप्रैल को गिरने के बाद टीवीएस मोटर का शेयर अचानक बढ़ने लगा। हल्ला उठा कि कंपनी ने एक पर एक का बोनस दिया है। किसी को याद नहीं आया कि यह तो छह महीने पुरानी खबर है और कंपनी सितंबर 2010 में ही एक पर एक का बोनस दे चुकी है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि टीवीएस मोटर संभावनामय कंपनी है जिसका शेयर इस समय थोड़ा सस्ते में मिल रहा है। कंपनी पहले दक्षिण भारत तक सीमित थी। अब अखिल भारतीय स्वरूप अख्तियार करती जा रही है। युवा और तेजी से बढ़ते देश में टू-व्हीलर की बिक्री बढ़नी ही है। टीवीएस होड़ में टिके रहने का माद्दा भी दिखा चुकी है। छोटा-सा नकारात्मक पक्ष है उसकी इंडोनेशिया का सब्सिडियरी का। इस सब्सिडियरी की बिक्री तो बढ़ रही है, लेकिन फायदे की स्थिति में नहीं आ पाई है। उसका घाटा कंपनी के लाभ में कटौती कर सकता है। लेकिन इंडोनेशिया जैसे उभरते देश में कंपनी का यह निवेश भविष्य में निश्चित रूप से फलदायी होगा।
सितंबर 2010 में एक पर एक बोनस देने के बाद कंपनी की मौजूदा इक्विटी 47.51 करोड़ रुपए है। इसका 40.69 फीसदी हिस्सा पब्लिक और 59.31 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास है। एफआईआई के पास इसके 4.73 फीसदी और डीआईआई के पास 13.72 फीसदी शेयर हैं। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 1,26,231 है। उसके बड़े शेयरधारकों में एलआईसी (5.47 फीसदी), मॉरगन स्टैनले (1.10 फीसदी), मेरिल लिंच (1.02 फीसदी), एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस (1.26 फीसदी), बिड़ला सनलाइफ इंश्योरेंस (1.98 फीसदी) और सुंदरम म्यूचुअल फंड (1.44 फीसदी) शामिल हैं।