ट्यूलिप टेलिकॉम (बीएसई – 532691, एनएसई – TULIP) का शेयर इस हफ्ते 173 रुपए से बढ़कर 184 रुपए तक पहुंच चुका है। एचडीएफसी सिक्यूरिटीज की रिसर्च रिपोर्ट को आधार बनाएं तो अगले साल भर में यह 246 रुपए तक जा सकता है। यानी, इसमें 33 फीसदी से ज्यादा बढ़त की गुंजाइश अभी बाकी है। उसने कंपनी की भावी संभावनाओं के आधार पर यह आकलन किया है। कंपनी का अभी तक का आधार भी मजूबत है। उसका ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 21.35 रुपए है और शेयर मात्र 8.63 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। उसकी बुक वैल्यू 73.78 रुपए है। इस तरह शेयर का मूल्य उसकी बुक वैल्यू का करीब ढाई गुना है।
कंपनी ने सितंबर 2010 की तिमाही में 585.28 करोड़ रुपए की आय पर 77.99 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है, जबकि साल भर पहले सितंबर 2009 की तिमाही में उसकी आय 491.05 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 48.86 करोड़ रुपए था। इस तरह सालाना तुलना में उसकी आय 19.19 फीसदी और शुद्ध लाभ 59.62 फीसदी बढ़ा है। बीते वित्त वर्ष 2009-10 में कंपनी ने 1966.40 करोड़ रुपए की आय पर 231.63 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था।
एचडीएफसी सिक्यूरिटीज का आकलन है कि अगले तीन सालों में ट्यूलिप टेलिकॉम की आय 17 फीसदी और शुद्ध लाभ 23 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ेगा। वित्त वर्ष 2011-12 में उसकी अनुमानित आय 2741.1 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 398.6 करोड़ रुपए रहेगा। कंपनी की इक्विटी 29 करोड़ रुपए है जो दो रुपए अंकित मूल्य के 14.5 करोड़ शेयरों में विभाजित है। इस तरह वित्त वर्ष 2011-12 के अंत में उसका ईपीएस 27.5 रुपए होगा। इसमें 9 के पी/ई अनुपात से भी गुणा करें तो भाव 247.50 रुपए निकलता है।
यह महज गणना नहीं है, बल्कि कंपनी की सामर्थ्य और रणनीति के आधार पर किया गया आकलन है। कंपनी ने 1992 में चार कर्मचारियों के साथ दूसरों का सॉफ्टवेयर बेचने से शुरुआत की थी। 1999 तक वह भारत में सिस्को की सबसे बड़ी री-सेलर बन गई। 2002 में उसने दुनिया का सबसे बड़ा ग्रामीण वायरलेस नेटवर्क केरल के मल्लापुरम जिले में लगाया। 2004 तक उसने वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) तकनीक में महारत हासिल कर ली और उसके कर्मचारियों की संख्या 435 हो गई। अब उसके कर्मचारियों की संख्या 2800 से ज्यादा हो चुकी है और वह 10 शहरों से शुरू कर अपना वायरलेस नेटवर्क देश के 1700 शहरों तक पहुंचा चुकी है।
दिसंबर 2005 में उसका आईपीओ आया जिसमें 10 रुपए अंकित मूल्य के शेयर 120 रुपए पर जारी किए गए थे। कंपनी ने जुलाई 2010 में 10 रुपए अंकित मूल्य के शेयरों को 2 रुपए अंकित मूल्य के पांच शेयरों में स्प्लिट कर दिया है। अभी शेयर का भाव 184 रुपए है। इस तरह दिसंबर 2005 में जिसने इस कंपनी में 120 रुपए लगाए होंगे, उसका निवेश अब 920 रुपए मूल्य का हो चुका होगा। जाहिर है कि इसके शेयरधारक वाकई बहुत खुश होंगे। कंपनी ने लिस्टेड होने के बाद अब तक हर साल लाभांश भी दिया है।
ट्यूलिप टेलिकॉम देश में डाटा टेलिकॉम सर्विस और आईटी सोल्यूशंस देनेवाली प्रमुख कंपनियों में शुमार है। उसके ग्राहकों में टेलिकॉम कंपनियों के अलावा बैंक व सरकारी विभाग तक शामिल हैं। गांवों व शहरों के बीच का डिजिटल फासला दूर करना भी उसका धंधा है। वह सरकार के यूनीक आइडेंटिफिकेशन कार्यक्रम से भी जुड़ी है। उसने हाल ही में करीब 6000 किलोमीटर लंबी इंट्रा-सिटी फाइबर केबल लगाई है जिससे इंटरनेट पर 2 से 5 एमबीपीएस की स्पीड पाई जा सकती है।
हां, उसके धंधे में जोखिम भी है। ब्रॉडबैंड वायरलेस एक्सेस (बीडब्ल्यूए) नीलामी में जीतनेवाली कंपनियां उसे वायरलेस कनेक्टिविटी में तगड़ी चुनौती दे सकती हैं। हो सकता है कि भविष्य में इन सेवाओं का दाम बहुत सस्ता हो जाए और उद्योगों में कनेक्टिविटी की जरूरत एक स्तर पर जाकर ठहर जाए। खैर, यह बात बाद की बातें हैं। अभी तो कंपनी में निवेश आकर्षक लग रहा है और कम से कम दो-तीन साल उसमें कोई प्रत्यक्ष जोखिम नहीं नजर आ रहा है।