सत्य के आधार पर ही जीवन-जगत का विकास होता है। सारा विज्ञान सत्य पर ही आधारित है। ज़रा-सी चूक बंटाधार कर देती है। चूक तो अनजाने में होती है। लेकिन झूठ तो जान-बूझकर सच्चाई को छिपाने के लिए बोला जाता है। सच नकारात्मक कभी नहीं, हमेशा सकारात्मक होता है। नए वर्ष व सम्वत 2080 की शुरुआत हमें सत्य के साथ ही करना चाहिए। आखिर हमारी अर्थव्यवस्था के द्रुत विकास का सच क्या है? चालू वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार और रिजर्व बैंक, दोनों ने हमारे जीडीपी की वास्तविक विकास दर 6.5% रहने का अनुमान जताया है। इससे पहले अप्रैल 2014 से मार्च 2023 तक वर्तमान सरकार के नौ साल में जीडीपी की औसत सालाना विकास दर 5.7% रही थी। इसमें चालू साल की 6.5% विकास दर को जोड़ दें तो दस साल की औसत विकास दर 5.8% हो जाती है। वहीं, इससे पहले अप्रैल 2004 से मार्च 2014 तक के दस सालों में जीडीपी की औसत विकास दर 7.5% रही थी। इस बार 2020 में कोरोना की महामारी आई थी तो उस बार 2008 का भयंकर वैश्विक वित्तीय संकट आया था। फिर इन्होंने अर्थव्यवस्था को उबारा है या डुबोया? अब सोमवार का व्योम…
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