मन को संभालें, संभल जाएगी ट्रेडिंग

ट्रेडिंग कोई टेक्नीक नहीं, संस्कार है। यह एक दिन का कोई चमत्कार नहीं। इसके लिए मन को रत्ती-रत्ती मांजकर तैयार करना होता है, संस्कारित करना पड़ता है। कारण, अभी हमारी जो मानसिकता है, जो भी बुनावट हमें अपने संस्कारों से मिली है, वहां अहंकार है। अपने को तुर्रमखां समझने का गुरूर है। हम गलत हो ही नहीं सकते, ऐसी सोच है। और, यह सोच बाज़ार में हमें डुबाने के लिए पर्याप्त है।

जो भी लोग हांकते हैं कि मैंने यह बताया और वैसा ही हुआ, वे अगर सायास मार्केटिंग के लिए, आपको चरका पढ़ाने के लिए ऐसा कर रहे हैं, तब अलग बात है। नहीं तो एक दिन उन्हें निश्चित रूप से आप टूटी चप्पल पहने कहीं बीड़ी सुलगाते देखेंगे। कारण, शेयर बाज़ार की ट्रेडिंग में सामने घाघ लोग बैठे हैं, जो ऐसे अहंकारी लोगों को देखकर निश्चिंत हो जाते हैं कि चलो, शिकार अच्छा मिला है, कुछ न कुछ लुटाकर ही जाएगा।

प्रोफेशनल ट्रेडरों में भी व्यक्तिगत और संस्थागत श्रेणियां हैं। इन दोनों की ट्रेडिंग का तरीका और अंदाज़ अलग होता है। संस्थागत ट्रेडर एक ही मार्केट (करेंसी, कमोडिटी या स्टॉक) और एक ही सेगमेंट में काम करता है। वे पांच-पांच पैसे पर सौदे काटते हैं। तनख्वाह पर काम करते हैं। उनका मैनेजर उन्हें अनुशासित करता रहता है। व्यक्तिगत ट्रेडर अगर प्रोफेशनल ट्रेडर की तरह काम करने लग जाए तो उनका रोज़ का खर्चा भी नहीं निकल पाएगा।

शुरुआती लोग अक्सर शेयर बाज़ार में लॉटरी खेलने के अंदाज़ में पहुंचते हैं। टिकट ले लिया और फिर देखते रहते हैं कि जीते कि नहीं। वहीं प्रोफेशनल ट्रेडर एक तो खरीदता है, बहुत नापतौल कर। दूसरे बेचता भी है तो सही स्तर देखकर। सौदा करने से पहले जमकर सोचता है। तमाम पहलू देखता है। स्टॉक का ट्रेंड साप्ताहिक चार्ट से देखता है तो घुसने और निकलने के बिंदु रोज़ के चार्ट पर। यह भी पाता है कि दोनों चार्ट तो उल्टी दिशा में जाते हैं। एक खरीदने का संकेत देता है तो दूसरा बेचने का। वह कभी भी एक झटके में नहीं खरीदता। रणनीति बनाता है और कार्यनीति भी।

अगर आपको भ्रम है कि मैं या कोई दूसरा आपको पैसे बनाकर दे देगा तो यथाशीघ्र इसे दूर कर लीजिए। करना आपको है। दूसरे तो केवल मदद के लिए हैं। आपके भीतर अनुशासन कोई बाहरी शख्स नहीं पैदा कर सकता। और, कोई भी ट्रेडर बगैर अनुशासन के कामयाब नहीं हो सकता। ऐसा अनुशासन तब आता है जब जिस ट्रेडिंग सिस्टम पर वो काम कर रहा है, उस पर उसे पूरा भरोसा हो। यह भरोसा तभी आता है जब किसी ट्रेडिंग सिस्टम को वो उपलब्ध आंकड़ों और सूचनाओं को परखने के बाद अपने खास अंदाज़ में ढाल लेता है। नहीं तो मृग मरीचिका की तरह जहां-तहां प्यासा भटकना उसकी नियति बन जाती है।

ध्यान रखें कि कमाने के लिए हर दिन ट्रेडिंग करना ज़रूरी नहीं है। डे-ट्रेडिंग के लिए जैसा धैर्य, अनुशासन और धन प्रबंधन का कौशल चाहिए, उसके लिए कम से कम तीन साल के सतत अभ्यास की जरूरत है। अगर यूं ही वहां घुस गए तो फटे कपड़ों के साथ बाहर निकलेंगे, यह तय मानिए। जो व्यक्ति के रूप में ट्रेड करते हैं, वे इस मायने में संस्थागत ट्रेडरों पर भारी पड़ते हैं कि उन्हें सामने हर दिन खरीदने-बेचने की बाध्यता नहीं होती। लेकिन हम में ज्यादातर लोग अक्सर इस फायदे को भूल जाते हैं।

ट्रेडिंग करते वक्त हमेशा मूल बात ध्यान में रखनी चाहिए कि हम किसी भी बिजनेस की तरह यहां भी पैसे कमाने आए हैं, गंवाने नहीं। ये उठा, वो गिरा। ऐसा कोई थ्रिल चाहिए तो स्काई जम्पिंग या रॉक क्लाइंबिंग कीजिए। ट्रेडिंग कोई थ्रिल नहीं। यहां बड़े ठंडे दिमाग से शिकार किया जाता है। कुछ लोग तो ट्रेडिंग को नए जमाने की डकैती भी कहते हैं जहां आप खुलेआम स्क्रीन के सामने बैठे हुए किसी दूसरे के धन पर हाथ साफ कर देते हैं। लेकिन इस परिभाषा पर कसें तो हमें हर तरफ डकैती और ठगी ही नज़र आएगी। कुदरत ने जो चमड़ी दी है, उसका रंग नहीं बदल सकता, बच्चे की लंबाई स्वाभाविक रूप से किसी भी पौष्टिक भोजन से बढ़ेगी। लेकिन गोरेपन की क्रीम, लंबाई बढ़ाने का बोर्नबीटा/हॉर्लिक्स या गंजे के सिर पर बाल उगाने का झांसा देने का धंधा सरेआम चल रहा है। छोटे-मोटे धंधेबाज़ नहीं, बड़ी-बड़ी कंपनियां ऐसा कर रही हैं।

खैर, सार की बात यह है कि ट्रेडिंग से कमाने का मन बनाया है तो पहले मन को संस्कारित कीजिए। भावनाओं पर बुद्धि की लगाम लगाइए। बुद्धि को ट्रेन कीजिए। अंदर के किसी उकसावे पर, आवेग पर ट्रेड मत कीजिए। हर दिन ट्रेड करना जरूरी नहीं। जब अच्छा ट्रेड दिखे और हर तरफ से ठोंक-बजाकर आप देख लें कि इसमें अच्छा फायदा होने की गुंजाइश है, तभी ट्रेड करें। इसके बावजूद अनुशासन और धन प्रबंधन का नियम यह कहता है कि किसी भी ट्रेड में स्टॉप लगाकर ही चलें। अगर किसी सौदे में लगता है कि स्टॉप लॉस दो फीसदी से ज्यादा जा रहा है तो उसे हाथ लगाने की जरूरत नहीं है। अरे! पांच हज़ार से ज्यादा लिस्टेड कंपनियां हैं। इसलिए किसी एक के इश्क में क्या पड़ना? एक ही हाथ मारो, लेकिन तगड़ा मारो। कहावत भी है न कि सौ सुनार की, एक लोहार की।

अंत में क्या कहूं। यह हफ्ता काफी अच्छा रहा, इसकी तसल्ली है। सोम का टार्गेट मंगल को ही हिट हो गया। मंगल को स्टॉप लॉस की गणना में ज़रा-सा चूक हुई, लेकिन लक्ष्य गुरुवार तक हासिल हो गया। बाकी बुध, गुरु, शुक्र सबके सब चंगे रहे। ट्रेडिंग से आपकी कमाई होती रहे, यही तमन्ना है। ध्यान रहे कि यह कमाई आप ही अपने अनुशासन और ज्ञान के दम पर कर सकते हैं। हम तो बस मदद भर कर सकते हैं।

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