आज खास नहीं, बस शुभ-शुभ बोलो

आज का दिन शेयर बाजार में कत्लोगारद का दिन है। अमेरिका का संकट सारी दुनिया पर हावी है। मध्य-पूर्व के बाजारों में कुवैत में 2.51 फीसदी से लेकर इस्राइल की 6.59 फीसदी गिरावट ने झांकी दिखा दी है कि भारत व एशिया के बाजारों में क्या हो सकता है। हमारे पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में शेयर सूचकांक रविवार को बाजार खुले होने पर 2.2 फीसदी गिर चुका है। सेंसेक्स शुक्रवार को 2.19 फीसदी गिरकर 17,305.87 पर बंद हुआ था। आज आशंका है कि करीब 4 फीसदी गिरकर 16,650 तक जा सकता है। इसके बाद कहां तक जा सकता है, इसमें बारे में एक सर्वे के मुताबिक बारह में से नौ फंड मैनजरों व एनालिस्टों ने माना है कि कुछ ही हफ्तों में यह 15,000 तक जा सकता है।

अफरातफरी न फैले, इसके लिए समूची दुनिया में कोशिशें जारी हैं। रविवार को दुनिया के सबसे बड़े औद्योगिक देशों के समूह जी-20 के शीर्ष अधिकारियों ने टेलिकांफ्रेंस की, ताकि आज बाजार खुलने पर नुकसान को कम से कम करने के साझा प्रयासों को ठोस किया जा सके। यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ईसीबी) में विचार चल रहा है कि यूरो ज़ोन के संकट को फैलने से बचाने के लिए इटली सरकार के बांडों को खरीद लिया जाए। दुनिया की सात आर्थिक महाशक्तियों के समूह जी-7 की भी अलग से बैठक हुई है।

अपने यहां वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने रिजर्व बैंक और सेबी से पूरी बातचीत की है कि भारतीय बाजार पर क्या प्रभाव पड़ सकता है और उसे कम करने के लिए क्या-क्या उपाय किए जा सकते हैं। रिजर्व बैंक और सेबी के आला अधिकारियों का दिन आज सुबह समय से पहले ही शुरू हो गया। वे बाजार खुलने के पहले ही मोर्चे पर डट गए हैं। बहुत मुमकिन है कि 9 बजे से पहले कुछ उपाय घोषित किए जाएं। नहीं तो आकस्मिकता से निपटने की तैयारी तो कर ली गई है। वित्त मंत्रालय का पूंजी बाजार विभाग बराबर उनके संपर्क में है। सेबी चेयरमैन यू के सिन्हा पूरी तरह मुस्तैद हैं।

बता दें कि शनिवार को रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने अमेरिका की संप्रभु रेटिंग एएए से घटाकर एए+ कर दी है। 1917 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि अमेरिका की रेटिंग एएए के सर्वोच्च स्तर से नीचे लाई गई है। इससे अब अमेरिकी सरकार के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा। इससे अमेरिकी मुद्रा डॉलर की भी छीझन बढ़ सकती है। डॉलर के कमजोर होने से रुपए जैसी तमाम मुद्राएं महंगी हो सकती हैं। दुनिया में हांगकांग व संयुक्त अरब अमीरात समेत करीब 20 मुल्कों की मुद्राएं डॉलर से सीधे जुड़ी हुई हैं। डॉलर के साथ-साथ इनकी भी डुबकी शुरू हो जाएगी।

मजे की बात यह है कि कमजोरी के बावजूद दुनिया भर के निवेशकों के लिए अमेरिकी डॉलर अब भी सबसे सुरक्षित मुद्रा बनी हुई है क्योंकि उसका कोई विकल्प नहीं हैं। येन की औकात नहीं है और यूरो खुद संकट में फंसी हुई है क्योंकि यूरो ज़ोन बनाकर उन्होंने यूरोप के 17 देशों का मौद्रिक एकीकरण तो कर लिया, लेकिन सरकारों के राजकोषों का प्रबंधन अलग-अलग रहा। मुद्रा की हालत तय करनेवाली राजकोषीय स्थिति भिन्न-भिन्न रही। अगर जर्मनी व फ्रांस जैसे देश कमजोर देशों के बांडों के भुगतान की गारंटी देते तो यूरो ज़ोन में एक तरह का राजकोषीय एकीकरण भी हो सकता था। इसी दिशा में यूरोपीय केंद्रीय बैंक इटली के बांडों को खरीदने की बात कर रहा है।

भारतीय शेयर बाजार की बात करें तो यहां तकरीबन 70 फीसदी धंधा एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशकों) का है। यकीनन उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती पर यकीन है और वे यहां लंबे समय के लिए आए हैं। लेकिन वे हमारी अर्थव्यवस्था या शेयर बाजार को जमाने के लिए, अपना धंधा चमकाने के लिए आए हैं। भाव जितने ज्यादा कम होंगे, बाजार बढ़ने पर उतना ही ज्यादा मुनाफा वे बटोर सकते हैं। इसलिए बहुत मुमकिन है कि वे अफरातफरी पैदा करने के लिए आज जमकर बेचेंगे। ऑपरेटर व मंदड़िए उनके कृत्य में शामिल रहेंगे। घरेलू निवेशक संस्थाएं (डीआईआई), खासकर एलआईसी, यूटीआई व सरकारी बैंकों से जुड़े म्यूचुअल फंड वगैरह आज जमकर खरीद करेंगे। लेकिन बाजार को गिरने से शायद नहीं रोका जा सकता। निफ्टी 4 फीसदी तक गिरा तो वह आज 5002 तक आ सकता है। इससे नीचे जाने की गुंजाइश आज तो नहीं दिखती।

ऐसे में हम जैसे आम निवेशकों की रणनीति आज दूर खड़े रहकर तमाशा देखने की ही हो सकती है। देखते रहें कि कौन-कौन से अच्छे ‘आम’ इस आंधी में नीचे गिर रहे हैं ताकि बाद में उन्हें उठाया जा सके। वैसे, ऐसा ही एक खास ‘आम’ है स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) जो शुक्रवार को 112.25 रुपए तक गिर गया, जबकि उसी दिन कैबिनेट ने उसके पक्ष में हजारों करोड़ का शानदार फैसला किया था। मैं परसों आपके सामने सेल के फौलाद की दास्तान बयां करूंगा। वैसे, मुझे आज ॐकार स्पेशियलटी केमिकल्स (बीएसई – 533317, एनएसई – OMKARCHEM) के बारे में लिखना था, जिसका शेयर शुक्रवार को जून तिमाही में शुद्ध लाभ के दोगुना हो जाने की घोषणा के बावजूद एनएसई में 14.12 फीसदी और बीएसई में 14.94 फीसदी गिर गया। खैर, आज नहीं तो कल सही। शायद यह और गिर जाए।

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