ठीक चुनावों के पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए सरकार किस कदर नोट बहाने जा रही है, यह हकीकत इस साल के बजट अनुमान, संशोधित अनुमान और दिसंबर तक के वास्तविक खर्च पर नज़र डालने से खुल जाती है। मसलन, चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए ग्रामीण विकास विभाग के खर्च का बजट अनुमान ₹1,57,545 करोड़ और संशोधित अनुमान ₹1,71,069 करोड़ है, जबकि कंट्रोलर जनरल ऑफ एकाउंट्स (सीजीए) के मुताबिक दिसंबर 2023 तक वास्तविक खर्च ₹1,07,912 करोड़ है। मतलब, सरकार ग्रामीण विकास के नाम पर गांवों में चुनावों से पहले ₹63,157 करोड़ रुपए झोंकने जा रही है। इसी तरह कृषि व किसान कल्याण विभाग के खर्च का बजट अनुमान ₹1,15,532 करोड़ और संशोधित अनुमान ₹1,16,789 करोड़ का है, जबकि सीजीए के मुताबिक दिसंबर तक के नौ महीनों में इसका वास्तविक खर्च ₹70,797 करोड़ है। यानी, 31 मार्च तक इस मद के ₹45,992 करोड़ उड़ाए जाने हैं। रूफटॉप सोलर कैम्पेन में एक करोड़ परिवारों को प्रतिमाह 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने की बात भी चुनावी शिगूफा है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि इसे भगवान राम के सूर्यवंश से जोड़कर पेश किया जा रहा है। साफ है कि मोदी सरकार कच्ची गोलियां नहीं खेलती। अब बुधवार की बुद्धि…
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