वो बोले बढ़ेगा तो समझें गिरना तय

आज नहीं तो कल इसे होना ही था और आज यह हो गया। 1.33 बजे तक निफ्टी कल से महज दो अंक नीचे था। लेकिन फिर अगले दो घंटे में 102 अंक टूट गया। 40 फीसदी रोलओवर हुए और ऑपरेटरों ने बाजार पर जमकर चोट की। निफ्टी अंत में 1.82 फीसदी की भारी गिरावट के साथ 5505.35 पर बंद हुआ। कल खत्म हो रहे सेटलमेंट के निफ्टी फ्यूचर्स का आखिरी भाव भी इसी के आसपास 5518.10 रहा।

वैसे भी बाजार में कई दिनों से कशमकश का दौर चल रहा था। निफ्टी में कुल मिलाकर कोई भी 5600 पर लांग नहीं था। अब 5200 से ही शॉर्ट चल रहे बहुत-से ट्रेडर एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं और खराब बजट और बजट से पहले निफ्टी के 5200 तक चले जाने की बातें करने लगे हैं।

स्टॉक्स की बात करें तो ट्रेडर चुनिंदा स्टॉक्स में लांग थे। यही वजह है कि सेंसेक्स के 150 अंक ही गिरने पर उन्होंने हाथ खड़े कर दिए और बहुतेरे स्टॉक्स तार्किक स्तर से कहीं ज्यादा गिर गए। फौरन तैश में आनेवाले स्टॉक्स भी ज्यादा गिरे हैं क्योंकि वे उठे भी ज्यादा तेजी से ही थे। इस बीच आईटीसी जैसे स्टॉक्स ने सेंसेक्स को संभालने का काम किया। आईटीसी आज बढ़कर 208.25 रुपए पर बंद हुआ। हमने तो काफी सारी शॉर्ट कॉल्स कर रखी थीं क्योंकि हम इस बात को लेकर पूरी तरह सचेत थे कि बाजार दबाव व घुटन के दौर में पहुंच चुका है।

क्या कल इसमें और करेक्शन आएगा? यह बड़ा सवाल है क्योंकि तकरीबन सभी लोग निफ्टी में 5100 व 5200 के लक्ष्य के साथ शॉर्ट हो चुके हैं। इसके साथ ही यह भी देखना है कि ऑपरेटर क्या उन लोगों को आसानी से निकलने देंगे जो 5200 से ही शॉर्ट चल रहे थे और अब फिर शॉर्ट सौदे ही कर रहे हैं? 150 अंकों की भी और गिरावट मंदड़ियों का पलड़ा भारी कर देगी।

खैर, इस साल अभी तक चली रैली बेवजह थी और मूल्यांकन भी काफी चढ़े हुए थे। इसके ऊपर से सबसे बदतर संकेत कई एफआईआई ब्रोकिंग हाउसों की तरह से आ गया। इनका कहना है कि सेंसेक्स अब 20,000 से 20,800 तक चला जाएगा। इसने साफ कर दिया कि बाजार अपनी बढ़त का सिलसिला अचानक रोक देगा। ऐसा पहले भी बार-बार हो चुका है, चाहे वो इक्विटी का मामला हो या मुद्रा अथवा कमोडिटी का। मैं अब भी नहीं समझ पाता कि कैसे ये ब्रोकिंग हाउस सेंसेक्स के 15,500 रहने पर 13,000 का लक्ष्य बताते हैं और बाजार 18,500 तक दौड़ा चला जाता है। इसी तरह अब वे 20,800 की बात कर रहे हैं तो बाजार गिरकर 17,000 तक जा सकता है।

क्या इतिहास अपने को एक बार फिर दोहराएगा? दिसंबर 2007 में रिलायंस पावर को रिकॉर्ड सब्सक्रिप्शन मिला था और इसकी लिस्टिंग के दिन बाजार में चल रही तेजी का अंत हो गया। एमसीएक्स ने भी पिछले पांच सालों के सारे रिकॉर्ड को तोड़ते हुए जबरदस्त सब्सक्रिप्शन हासिल किया है। क्या यह बाजार के टूटने की आहट है? माथे पर बल डालकर इस मसले पर सोचिएगा जरूर।

मैंने कभी भी रिलायंस पावर में निवेश की सिफारिश नहीं की थी। आज भी मैं एमसीएक्स में निवेश की सलाह नहीं दे रहा। बाकी आपको खुद समझना है। एक चीज मैं जानता हूं कि सब्सक्रिप्शन होता नहीं, जुटाया जाता है और इश्यू व लिस्टिंग के बीच हमेशा फासला होता है। इस फासले के दौरान बाजार का ढर्रा बदल सकता है। हां, बाजार भला रहे या बुरा, ओएनजीसी के शेयरों की बिक्री को कामयाबी मिलनी तय है।

अगर निफ्टी 5480 का स्तर तोड़ देता है तो वहां से बाहर निकल जाइए और 5274 के लक्ष्य के साथ बेचने के सौदे कर डालें। वहां पहुंचकर निफ्टी को समर्थन मिलना चाहिए। बजट बड़े पैमाने पर निराश कर सकता है क्योंकि इससे बहुत सारी उम्मीदें पाल ली गई हैं। इसलिए शॉर्ट सौदों को लांग से और लांग सौदों को शॉर्ट से हेज करके चलें।

इस महीने के अंत तक मेरा सबसे अच्छा दांव ऑर्किड केमिकल्स पर है। कंपनी ने अपने दवा मोलिक्यूल को आउटसोर्स करने का करार किया है। इससे उसे शुरुआत में ही बतौर रॉयल्टी 20 करोड़ डॉलर मिल जाएंगे जो मार्च में परिपक्व हो रहे 11.70 करोड़ डॉलर के एफसीसीबी (विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड) की अदायगी के लिए पर्याप्त है। यह स्टॉक अभी तक एकदम चला ही नहीं है। इसलिए गिरते बाजार में भी इसमें लांग या बढ़ने का पक्ष पकड़ा जा सकता है। वैसे, आज यह 6.79 फीसदी गिरा है।

शॉर्ट के पक्ष की बात करूं तो मैं आपको जेएलडब्ल्यू, टाटा स्टील, वीआईपी इंडस्ट्रीज, वोल्टास, टीटीके प्रेस्टिज, एक्सिस बैंक और आईसीआईसीआई बैंक जैसे दूसरे स्टॉक्स को बेचने की सलाह दूंगा। आफ्टेक कैश सेगमेंट का रॉकेट बन गया है। यह आज 6.54 फीसदी बढ़कर 11.73 रुपए पर बंद हुआ। इसमें पहला लक्ष्य 15 रुपए का है। इसके बाद यह इस साल का स्टॉक बन जाएगा। इसके एफसीसीबी से जुड़ा सारा बवाल सुलझ चुका है।

ज़िंदगी का मतलब महज अपनी प्रतिभा को खोजने तक सीमित नहीं है। यह तो वहां तक जाता है जहां हम प्रतिभा को उस हद तक पहुंचा देते हैं कि हमारे अंदर का जीनियस निकलकर बाहर आ जाता है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)

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