निवेशकों की शिक्षा व जागरूकता के अधिकांश कार्यक्रम पांच सितारा होटलों और अंग्रेज़ी में ही होते हैं। स्थानीय भाषाओं में जो कुछ भी होता है, वह महज खानापूर्ति है। वो भी इसलिए ताकि निवेशकों के धन से बने फंड से बिचौलियों की कमाई हो सके। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय, सेबी, बीएसई व एनएसई ने हिंदी में जो सामग्री पेश कर रखी है, उसमें पंचतंत्र में लिखी लोमड़ी और सारस की कहानी जैसी फांस है। शिक्षित व जागरूक होने की बात तो छोडिए, कोई उसे मूल अंग्रेज़ी में पढ़े बिना समझ ही नहीं सकता। दरअसल, समूचा तंत्र शिकारियों के साथ और उन्हीं की रक्षा के लिए है। उससे यह अपेक्षा करना एकदम बेकार है कि वह हमें सचमुच वित्तीय रूप से शिक्षित, साक्षर व जागरूक बनाएगा। निवेशकों के धन से निवेशकों की शिक्षा, सुरक्षा व जागरूकता के लिए बना प्राधिकरण ही जब ‘इन्वेस्टर’ के लिए निवेशक जैसे प्रचलित शब्द की जगह ‘विनिधानकर्ता’ जैसा अजूबा व अप्रचिलत शब्द इस्तेमाल करता है तो उसकी नीयत साफ हो जाती है। हमें यह बात समझ लेनी चाहिए कि अपनी शिक्षा हमें खुद करनी पड़ेगी। अप्प दीपोभव। अपना दीपक खुद बनो। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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