एक तरफ शेयर बाज़ार बढ़ रहा है, दूसरी तरफ बेरोज़गारी बढ़ती जा रही है। सीएमआईई के ताज़ा डेटा के मुताबिक अप्रैल में बेरोज़गारी की दर बढ़कर 7.83% हो गई है। यह महीने भर पहले मार्च में 7.60% हुआ करती थी। सबसे ज्यादा 34.5% बेरोजगारी हरियाणा में है, उसके बाद 28.8% राजस्थान, 21.1% बिहार और 15.6% जम्मू-कश्मीर में। बेरोजगारी के साथ ही जिनके पास किसी तरह का रोज़ी-रोजगार है, उनकी आमदनी घट रही तो खपत भी घटती जा रही है। इसका सीधा व साफ असर हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसी सबसे बड़ी एफएमसीजी कंपनी के नतीजों पर दिखाई देता है। मार्च 2024 की तिमाही में हिंदुस्तान यूनिलीवर का शुद्ध लाभ साल भर पहले की समान अवधि के ₹2552 करोड़ से 5.72% घटकर ₹2406 करोड़ रह गया है, जबकि दाम व मुद्रास्फीति बढ़ने के बावजूद उसकी बिक्री ₹15,077 करोड़ पर ठहरी हुई है। यह साल भर पहले ₹15,053 करोड़ रही थी। सवाल उठता है कि जब देश के भीतर खपत नहीं बढ़ेगी तो कंपनियां क्षमता बढ़ाने पर पूंजी निवेश क्यों करेंगी? निर्यात का बाज़ार तो पहले से ही ठंडा पड़ा है। पूंजी निवेश नहीं होगा तो रोज़गार के नए अवसर कहां से पैदा होगा। देश बेहद अजीब और विकट दुष्चक्र में फंस गया है। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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