टाटा मेटलिक्स का शेयर कल बीएसई (कोड – 513434) में 4.32 फीसदी और एनएसई (कोड – TATAMETALI) में 3.80 फीसदी बढ़ा है। अभी 131 रुपए के आसपास चल रहा है। बीते तीन महीनों के दौरान वह 162 रुपए तक जाकर नीचे में 121 रुपए तक गया है। पिछले 52 हफ्ते में 167 रुपए का उच्चतम स्तर उसने इसी साल 26 अप्रैल को हासिल किया था। कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 23.77 रुपए है और मौजूदा भाव पर उसका शेयर मात्र 5.54 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। हालांकि शेयर की बुक वैल्यू 41.46 रुपए है। लेकिन जानकारों का मानना है कि इस शेयर में 210 रुपए तक जाने का दमखम है।
यह टाटा स्टील द्वारा प्रवर्तित 1994 से काम कर रही कंपनी है। पिग आइरन बनाती है जिसका इस्तेमाल रोलिंग मिल रोल, ऑटोमोबाइल इंजिन ब्लॉक, मोटर व जनरेटर हाउजिंग, गियर, रेलवे व मशीन टूल्स में होता है। अक्टूबर 2007 में कंपनी ने जापानी की दो कंपनियों – कुबोटा कॉरपोरेशन व मेटल वन कॉरपोरेशन के साथ मिलकर एक सब्सिडियरी टाटा मेटलिक्स कुबोटा पाइप्स का गठन किया और डक्टाइल आइरन पाइप भी बनाने लगी। कंपनी का मुख्यालय कोलकाता में है, जबकि उसके दो उत्पादन संयंत्र खड़गपुर (पश्चिम बंगाल) और रेडी (महाराष्ट्र) में हैं।
कंपनी के पास अपनी आइरन ओर, मैगनीज, लाइमस्टोन व डोलामाइट की खदानें हैं जहां से वह कच्चा माल प्राप्त करती है। उसे महाराष्ट्र के डोंगरपाल में आइरन ओर खदान का लाइसेंस मिला हुआ है। उसने खड़कपुर व रेडी में अपने इस्तेमाल की बिजली बनाने के बिजली संयंत्र भी लगा रखे हैं जहां वह कोक ओवन से निकलने वाली बेकार गैसों का इस्तेमाल कर लेती है। कंपनी ने कुछ महीने पहले ही कर्नाटक सरकार के साथ हावेरी में एकीकृत इस्पात संयंत्र लगाने के एमओयू पर दस्तखत भी किए हैं। उसे इस संयंत्र के लिए जमीन के साथ-साथ बिजली व पानी की सप्लाई की मंजूरी मिल चुकी है।
कंपनी ने साल 2009-10 में 1055.54 करोड़ रुपए की आय पर 45.55 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। चालू वित्त वर्ष में सितंबर 2010 में खत्म छमाही में उसकी आय 608.33 करोड़ और शुद्ध लाभ 15.59 करोड़ रुपए रहा है। पिछले चार तिमाहियों में कंपनी की बिक्री औसतन 36 फीसदी की दर से बढ़ी है। कंपनी के साथ समस्या बस इतनी है कि उसका परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) काफी कम है। पूरे वित्त वर्ष 2009-10 में उसका ओपीएम 9.75 फीसदी था। सितंबर 2010 की तिमाही में यह घटकर 5.62 फीसदी पर आ गया। हालांकि इस दरमियान मार्च 2010 की तिमाही में यह 14.18 फीसदी भी हो गया था। लेकिन इसके बावजूद इस स्टॉक में दूरगामी निवेश फलदायी साबित हो सकता है।
कंपनी की 25.29 करोड़ रुपए की इक्विटी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 50.04 फीसदी है, जिसमें से 46.66 फीसदी शेयर टाटा स्टील के पास हैं। एफआईआई के पास उसके 0.25 फीसदी और डीआईआई के पास 3.35 फीसदी शेयर हैं। उसके बड़े निवेशकों में जीआईसी (1.29 फीसदी), पैटन इंटरनेशनल (1.24 फीसदी) और ओरिएंटल इंश्योरेंस (1.05 फीसदी) शामिल हैं। कंपनी 2004 से 2008 तक लगातार अच्छा खासा लाभांश देती रही है। सूत्रों के मुताबिक दो साल तक दबाव में रहने के बाद वह इस साल लाभांश देने की तैयारी में है।