बैंकिंग, फाइनेंस व सेवा क्षेत्र अर्थव्यवस्था की शानपट्टी हैं, जबकि मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र रीढ़ की हड्डी और असली कलेवर है। इसी के दम पर शेयर बाज़ार लम्बे समय तक लगातार अच्छा रिटर्न देता है। लेकिन अपने यहां तमाम दावों के बावजूद मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की हालत कमज़ोर है। दिसंबर 2014 में भारत सरकार और उद्योग के शीर्ष नुमाइंदों ने लम्बी बहस के बाद एक्शन प्लान बनाया था कि साल 2025 तक देश के जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग का योगदान 25% तक पहुंचा दिया जाए। इससे पहले मनमोहन सिंह सरकार ने 2012 में लक्ष्य बनाया था कि साल 2022 तक जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग का हिस्सा 25% पर पहुंचा दिया जाएगा। विश्व बैंक के अद्यतन आंकड़ों के मुताबिक हकीकत यह है कि 2012 में यह हिस्सा 16% हुआ करता था। लेकिन मेक-इन इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया और स्टैंड-अप इंडिया जैसे नारों के बावजूद 2022 तक यह घटकर 13% पर आ गया। वैसे, राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन (एनएसओ) के 31 मई को आए ताज़ा अनुमानों के मुताबिक बीते वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग का हिस्सा 16.35% रहा है। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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