अनिर्णय आपको चलने नहीं देता और बिना चले सही-गलत निर्णय का पता नहीं चलता. उधर हालात बदलते रहते हैं. बाज़ी हाथ से फिसलती जाती है और आप जहां के जहां पड़े-पड़े कदमताल ही करते रह जाते हैं.और भीऔर भी