चीन की अर्थव्यवस्था सुस्त है। यूरो ज़ोन लम्ब-लेट है। जापान दूसरी तिमाही में डूबने लगा। ब्रिटेन में कमाई महंगाई के साथ नहीं बढ़ रही। यूक्रेन से इराक और गाज़ा तक अशांति फैली है। पश्चिम अफ्रीका में इबोला की महामारी का कहर है। फिर भी साइप्रस को छोड़ दें तो इस साल अब तक भारत में लिस्टेड कंपनियों का मूल्य या बाज़ार पूंजीकरण दुनिया में सबसे ज्यादा 33.54% बढ़ा है। उम्मीद पर टिके बाज़ार में राह शुक्रवार की…औरऔर भी

दोस्तों! ट्रेडिंग का यह पेड कॉलम शुरू किए हुए आज पूरे एक साल हो गए। आपका पता नहीं, लेकिन मैं इस कॉलम से अभी तक संतुष्ट नहीं हूं। सच है कि भावी अनिश्चितता को मिटाना किसी के लिए भी संभव नहीं। लेकिन ट्रेडिंग की जितनी संभाव्य स्थितियां हो सकती हैं उनमें कम से कम रिस्क में अधिकतम रिटर्न की गिनी-चुनी स्थितियां ही अभी तक हाथ लगी हैं। अभी बहुत कुछ सीखना-सिखाना जरूरी है। अब गुरु की दिशा…औरऔर भी

मुनाफे का मौका ताड़ने में लोगों को ज्यादा वक्त नहीं लगता। हम हिंदुस्तानी इस मायने में खटाक से जोखिम उठाने को तैयार हो जाते हैं। पहले इंट्रा-डे ट्रेडिंग में लाखों ट्रेडरों ने हाथ जला डाला। अब हर कोई निफ्टी के ऑप्शंस व फ्यूचर्स से सम्मोहित है। सामान्य से सामान्य लोग जो बस गिनती-पहाड़ा तक जानते हैं, डेरिवेटिव जैसे जटिल प्रपत्रों में हाथ डाल रहे हैं। बस ऊपर-ऊपर जान लिया। बाकी रामनाम सत्य है। अब वार मंगल का…औरऔर भी

वित्त मंत्री चिदंबरम आज लोकसभा में 11 बजे आनेवाले वित्त वर्ष 2014-15 का अंतरिम बजट पेश करेंगे। इसमें वे प्रत्यक्ष या परोक्ष टैक्स की दरों में कोई फेरबदल नहीं कर सकते क्योंकि कानून इसकी इजाज़त नहीं देता। पर आम चुनावों के मद्देनज़र बड़ी-बड़ी बातें जरूर कर सकते हैं। बाज़ार की नज़र इस पर रहगी कि वे राजकोषीय घाटे को 4.8% की सीमा में बांध सके या नहीं और हां तो कैसे। अब करते हैं हफ्ते का आगाज़…औरऔर भी

खबर यकीकन शेयर बाज़ार और संबंधित शेयरों के लिए अहमियत रखती है। लेकिन बनने से लेकर हमारे पास पहुंचने तक वो गुल खिला चुकी होती है। उस पर खेलनेवालों की तेज़ी को हम मात नहीं दे सकते है। इसलिए खबर हमारे जैसे आम निवेशकों का ट्रेडिंग टूल कतई नहीं बन सकती। जिस दिन बड़ी खबर हो, उस दिन बाज़ार से दूर रहना बेहतर। बासी खाना और बासी खबर हमारे लिए त्याज्य है। देखें अब बुध का बाज़ार…औरऔर भी

शेयर के भाव और खबरों का क्या रिश्ता है, इसे टाटा पावर के उदाहरण से समझा जा सकता है। मंगलवार को स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने इसे डाउनग्रेड कर दिया। कहा कि अगले बारह महीनों में ऋणों की देनदारी के चलते इसका कैश-फ्लो कमज़ोर रहेगा। लेकिन कल, बुधवार को इसका शेयर 4.07% बढ़ गया। सच यह है कि छोटी अवधि में खबरों के आगे-पीछे बहुतेरी शक्तियां काम करती हैं जिन्हें हम देख नहीं पाते। अब हाल बाज़ार का…औरऔर भी

एफआईआई के जरिए आ रहे ज्यादातर विदेशी धन का स्रोत पेंशन फंड, यूनिवर्सिटी इनडावमेंट और सोवरेन फंड हैं। इनके पास 20 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा जमाधन हैं। ज्यादा रिटर्न पाने के लिए वे भारत जैसे देशों में निवेश करते रहे हैं। अब अमेरिका में ज्यादा ब्याज मिलने की उम्मीद है तो ये अपना धन वहां के बैंकों में लगाएंगे। रिस्क/रिटर्न के इस संतुलन व मानसिकता को समझने की जरूरत है, न कि गरियाने की। अब आगे…औरऔर भी

जिस तरह अमेरिका के डाउ जोन्स सूचकांक ने मंगलवार को 2007 का भी उच्चतम स्तर तोड़कर नई ऊंचाई बनाई है, उससे तो यही लगता है कि अपने यहां भी आज रुख बढ़ने का रहेगा। फिलहाल 19 मार्च को रिजर्व बैंक क्या करता है, इसको लेकर कयास शुरू हो गए हैं। ब्याज दर घटने की पक्की उम्मीद जताई जा रही है।  ऊपर से अंतरराष्ट्रीय निवेश बैंक क्रेडिट सुइस ने भारत को एशिया के चार सबसे सस्ते शेयर बाज़ारोंऔरऔर भी