बजट का दिन। आसमान चढ़ी उम्मीदों की परीक्षा का दिन। हो सकता है कि आज बाज़ार 4-5% ऊपर-नीचे हो जाए। अगले दो दिन भी ज्वार-भांटा चल सकता है। लालच खींचता है कि इस उतार-चढ़ाव पर दांव लगाकर डेरिवेटिव्स से एक दिन में 100% तक बनाए जा सकते हैं। लेकिन संभल नहीं पाए तो पूरी पूंजी स्वाहा! ट्रेडिंग का पहला नियम है कि रिस्क को न्यूनतम करो और पूंजी को संभालो। अब करें, अभ्यास बजट के दिन का…औरऔर भी

बाज़ार भले ही 25 अप्रैल से बिकवाली का शिकार हो। लेकिन निफ्टी जिस तरह 4 फरवरी से 23 अप्रैल के बीच 14% बढ़ा, उसका श्रेय ‘अबकी बार, मोदी सरकार’ को दिया जा रहा है। यह कौआ कान ले गया, सुनकर कौए के पीछे दौड़ पड़नेवाली बात है क्योंकि इसी दरमियान तुर्की का बाज़ार 20%, ब्राज़ील का 16%, इंडोनेशिया का 19% और मलयेशिया का 18% बढ़ा है। इसलिए अंश ही नहीं, समग्र को देखिए। अब शुक्रवार का बौद्ध-ट्रेड…औरऔर भी

केवल कंपनियां ही पूंजी व श्रम के सहयोग से अर्थव्यवस्था में मूल्य जोड़ती हैं। बाकी सब व्यापार का चक्र और मुद्रा की फेटमबाज़ी है। इसीलिए कोई बैंक एफडी, यहां तक कि इनफ्लेशन इंडेक्स बांड भी मुद्रास्फीति को नहीं हरा सकते। केवल और केवल कंपनियों के मालिकाने में हिस्सेदारी यानी इक्विटी में निवेश से हम अपनी बचत को मुद्रास्फीति की मार से बचाकर बढ़ा सकते हैं, बशर्ते सही कंपनियां चुनी जाएं। तथास्तु में एक और ऐसी ही कंपनी…औरऔर भी