जो सहज हो, वो सही हो, यह जरूरी नहीं। मसलन, इस समय सहज सोच यही है कि खरीदो। हम नहीं समझते कि इससे पीछे सारा खेल लालच का है। आज या कभी भी चढ़े हुए बाज़ार में सही चीज़ होनी चाहिए कि बेचकर पिछला घाटा बराबर कर लो; जो शेयर लक्ष्य पर पहुंच गए हों, उनसे धन निकालकर सुरक्षित माध्यमों में लगा दिया जाए। सहज और सही के समीकरण के बीच तथास्तु में आज की संभावनामय कंपनी…औरऔर भी

जब तक किसी कंपनी में विकास की भरपूर संभावना साफ-साफ नहीं दिखती, तब तक उसके शेयर नहीं चढ़ते। पर उन कंपनियों में भी निवेश का कोई फायदा नहीं, जिनके शेयरों में भावी विकास की ज्यादातर संभावना को भावों में सोख लिया गया हो। हमें निवेश उस कंपनी में करना चाहिए जिसमें बाज़ार को लगता है कि उसके शेयर के बढ़ने की खास गुंजाइश नहीं है। तथास्तु में आज औरों की नज़र से ओझल ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी

बड़े-बड़े विश्लेषक, टीवी चैनल और म्यूचुअल फंड बुला रहे हैं कि आओ! शेयर बाज़ार में निवेश करने का यही मौका है। सेंसेक्स अभी 25,000 पर है, जल्दी ही 40,000 तक चला जाएगा। सावधान, यह हमारी लालच को भुनाने की कोशिश है। आज वे कोल्टे पाटिल डेवलपर्स को 154 पर खरीदने को कहेंगे, जबकि हमने आठ महीने पहले इसे 20 अक्टूबर को तब खरीदने को कहा था, जब यह 77 पर था। निवेश का एक और शानदार मौका…औरऔर भी

सिद्धांत की बात करें तो किसी भी स्टॉक में निवेश करने के तीन सबसे प्रमुख आधार हैं: कंपनी की मूलभूत ताकत, अंतर्निहित मूल्य के सापेक्ष उसका भाव, कंपनी का प्रबंधन। लेकिन व्यवहार में कभी लालच तो कभी डर हमारे निवेश पर हावी हो जाता है। किसी ने कहा कि इसमें धन चार गुना हो जाएगा तो आंख मूंदकर खरीद लिया। दूसरे बेचने लगें तो हम भी बिना सोचे-समझे बेचने लगते हैं। यह गलती छोड़ें। देखें यह कंपनी…औरऔर भी

जानी-मानी रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में सौ से ज्यादा लिस्टेड कंपनियों के अध्ययन के बाद निष्कर्ष निकाला है कि फंडामेंडल स्तर पर मजबूत कंपनियां दो से पांच साल में पूरे बाज़ार से बेहतर रिटर्न देती हैं। अप्रैल 2011 से मार्च 2013 के बीच ऐसी कंपनियों ने निफ्टी से 2.2% और सीएनएक्स मिडकैप सूचकांक से 5% ज्यादा सालाना चक्रवृद्धि रिटर्न दिया है। हम यहां ऐसी ही कंपनियों को छांटकर पेश करते हैं। आज एक औरऔरऔर भी

साल भर पहले हमने यहीं पर पॉलि मेडिक्योर में निवेश की सलाह दी थी। तब उसका शेयर 240 के आसपास था। अभी 14 मई को 574.85 का शिखर छूने के बाद फिलहाल 512.50 रुपए पर है। 100% से ज्यादा रिटर्न दिलानेवाली ऐसी तमाम सलाहें तब मुफ्त हुआ करती थीं। लेकिन खुली मुठ्ठी में रखे हीरे का मूल्य लोगों ने नहीं समझा तो मुठ्ठी बंद करनी पड़ी। आज ऐसी कंपनी जो सीधे वॉरेन बफेट से ताल्लुक रखती है।औरऔर भी

सोना गिर रहा है। तीस दिनों में 13%, छह महीने में 19% और एक साल में 15% गिरा है। लेकिन पांच साल पहले से अब भी 75% ऊपर है। 2008 में सोना 800 डॉलर प्रति औंस था। अभी 1400 डॉलर के आसपास है। 2011 में हासिल 1800 डॉलर के शिखर से 22% नीचे। सोना क्यों चढ़ा और क्यों गिरा? इस पर मगजमारी करने के बजाय क्यों न सोने के कारोबार में लगी कंपनी पर दांव लगा दियाऔरऔर भी