अगर अपने शेयर बाजार को आम लोग जुए का अड्डा या कैसिनो जैसा मानते हैं तो यह निराधार नहीं है क्योंकि अब भी रोज ब रोज के तीन चौथाई से ज्यादा सौदों में शेयरों की असली लेन-देन नहीं होती। बस भाव का अंतर ले-देकर कमाई हो जाती है। हमारे टीवी चैनल, बिजनेस अखबार, वेबसाइट भी यही ज्ञान देते रहते हैं कि कितने पर खरीदो, कितने पर बेचो और कहां स्टॉप लॉस लगाना है यानी, दिन के दिनऔरऔर भी