इंद्रियां हैं, हार्मोंस हैं, तभी जीवन है। नहीं तो मर गए समझो। मेलमिलाप, सुख-दुख इन्हीं से तो है। कोई इंद्रजीत नहीं। संत नहीं, ढोंगी हैं। हां, दुनिया-समाज को समझने के लिए अपने से बाहर निकलना पड़ता है जिसके लिए इंद्रियों का शमन करना पड़ता है।और भीऔर भी

ज्ञान ऐसा मनोरंजन है जो हमारे अंदर उन अनुभूतियों के रंध्र खोल देता है जो पहले हमारी पहुंच में थीं ही नही। आम मनोरंजन हमें निचोड़ डालता है, जबकि ज्ञान हमारी संवेदनाओं को उन्नत बनाता है।और भीऔर भी